मेवात का नलहड़ शिव मंदिर इस वक्त चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, 31 जुलाई को इस मंदिर की शोभायात्रा के दौरान हिंसा फैली थी.
इस वक्त मेवात का नलहड़ शिव मंदिर छावनी में तब्दील हो रखा है. क्योंकि 31 जुलाई, सोमवार को मेवात के नूंह में नलहड़ के शिव मंदिर से जलाभिषेक यात्रा फिरोजपुर के लिए निकाली जा रही थी.
उसी वक्त दूसरे समुदाय के लोगों ने पथराव शुरू कर दिया था. देखते ही देखते इस घटना ने बड़ी हिंसा का रूप ले लिया.
इस दौरान सैकड़ों की संख्या में वाहन और दुकानें जलाई गई. इस हिंसा के दौरान कई लोग घायल भी हुए थे.
चलिए तस्वीरों से जानते हैं इस मंदिर के इतिहास के बारे में.
इस मंदिर को साल 1983 में ज्ञान गिरी महाराज ने बनवाया था. साथ ही स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इसका निर्माण यदुवंशी राजपूतों के शासनकाल के दौरान किया गया था.
नलहड़ का यह शिव मंदिर महाभारत काल का माना जाता है.
माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने कौरवों और पांडवों का समझौता कराने के लिए नूंह के पास अरावली पर्वत पर स्थित इस शिव मंदिर की जगह चुनी थी.
नलहरेश्वर महादेव मंदिर पर न केवल महाशिवरात्रि का भव्य मेला लगता है बल्कि हर साल यहां शिव भक्त कावड़ भी चढ़ाते हैं.
यह मंदिर राजपूत और मुगल वास्तुकला शैलियों के मिश्रण को दर्शाती है. मंदिर के मुख्य देवता भगवान शिव हैं, जिनकी पूजा शिव लिंगम के रूप में की जाती है.