By Aajtak.in
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है. यह साल की सबसे बड़ी एकादशी होती है. इस साल निर्जला एकादशी 31 मई को है.
निर्जला एकादशी पर व्रत रखने से सारी एकादशियों का पुण्य मिल जाता है. धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति भी होती है.
इस साल निर्जला एकादशी पर पूजा के 2 बड़े ही शुभ मुहूर्त रहेंगे. लेकिन शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए आपको सुबह जल्दी तैयार रहना होगा.
उदिया तिथि के चलते निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई यानी कल रखा जाएगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है.
सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग सुबह 5 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 6:00 बजे तक रहेंगे. यानी पूजा के लिए करीब आधे घंटे का मुहूर्त रहेगा.
सुबह स्नान करके सूर्य देवता को जल चढ़ाएं. पीले वस्त्र धारण करके विष्णु जी की पूजा करें. उन्हें पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल चढ़ाएं.
इसके बाद श्री हरि और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. किसी निर्धन व्यक्ति को जल, अन्न या वस्त्र का दान करें.
निर्जला एकादशी का पारण 01 जून को किया जाएगा. पारण का समय सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक है.