9 July 2025
aajtak.in
नीम करोली बाबा देश के कोने-कोने में श्रद्धा और आस्था का एक ऐसा नाम हैं, जिनकी छवि केवल एक संत की नहीं, बल्कि एक जीते-जागते मार्गदर्शक की है. उत्तराखंड के कैंची धाम में स्थित उनके आश्रम में हर दिन हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है.
भक्तों का मानना है कि नीम करोली बाबा के विचारों को जीवन में अपनाने से जीवन में शांति, दिशा और सफलता तीनों ही प्राप्त होती हैं. उनके पास पहुंचने वाला हर व्यक्ति कोई न कोई प्रश्न, जिज्ञासा लेकर आता है.
एक बार एक जिज्ञासु बाबा के पास आया और विनम्रता से पूछा- बाबा, गुरु कौन होता है? हम कैसे पहचानें कि कौन हमारा सच्चा गुरु है?
बाबा ने भक्त के सवाल का बड़ा ही सुंदर जवाब दिया कि गुरु को पहचानने की कोई बाहरी विधि नहीं है. जब तुम सच्चे हो, तैयार हो, और पूरी तरह समर्पित हो. तब तुम्हें स्वयं के भीतर ही गुरु मिल जाते हैं.
बाबा ने कहा कि गुरु कोई अलग अस्तित्व नहीं, बल्कि वह प्रकाश है जो अंधकार में राह दिखाए. गुरू वह चेतना है जो आत्मा को उसकी वास्तविक पहचान से जोड़ देता है.
नीम करोली बाबा ने आगे कहा कि सही मायने में गुरु वही होता है जो तुम्हें आत्मिक रूप से पूर्ण करे. जो तुम्हें तुम्हारी इच्छाओं, मोह और अहंकार से मुक्त कर दे.
बाबा के मुताबिक गुरु वो नहीं जो केवल मार्ग दिखाए, गुरु वो है जो स्वयं मार्ग बन जाए. और जिसकी उपस्थिति से ही तुम्हारा कल्याण हो जाए.
बाबा ने बड़ी सहजता से कहा कि अगर तुम्हें किसी मे शांति, करुणा, निष्काम और सेवा के गुण मिले. और तुम्हें अपनी तरफ मोड़ने वाली दृष्टि दिखे तो समझ लो वही तुम्हारा गुरु है.
उनकी इस बात से यह स्पष्ट होता है कि गुरु कोई चमत्कार दिखाने वाला साधु नहीं, बल्कि वह होता है जो तुम्हारे जीवन को एक नई दिशा देकर तुम्हारा उद्धार कर दे.