नीम करोली बाबा का नाम 20वीं सदी के महान संतों में गिना जाता है. उनके पास दिव्य शक्तियां थीं. लोग उन्हें हनुमान का अवतार कहते थे.
वो कहते थे कि धनवान होना एक उपयोगिता है, जो हर मनुष्य प्राप्त करना चाहता है. पर क्या आप जानते हैं कि असल में धनवान कौन है?
यदि किसी इंसान के पास धन की प्रचुरता है तो उसे धनवान कहना सही नहीं है. आप मात्र किसी का पैसा देखकर उसे धनवान नहीं कह सकते.
धनवान कहलाने के लिए आपको उस धन की सही उपयोगिता पता होना जरूरी है. धन का सही उपयोग करने वाले ही असल में धनवान होते हैं.
बाबा कहते हैं, अगर आप धन का कोष खाली नहीं करेंगे तो उसे भरेंगे कैसे. जमा किया धन निश्चित ही एक न एक दिन खत्म हो जाना है.
अगर आप किसी जरूरतमंद के लिए अपने धन का कोष खाली करेंगे तो ईश्वर की महिमा उसे फिर से भर देगी.
अगर आपके चरित्र, व्यवहार और ईश्वर की आस्था के कोष भरे हैं. आप इन तीनों कोषों से परिपूर्ण हैं तो स्वयं को कभी गरीब ना समझें.
जो धन की पूंजी आपके पास है, सही मायने में वही असली रत्न है. ऐसे लोग ही असली धनवान हैं. भौतिक रूप से नजर आने वाली चीजें रत्न नहीं हैं.