महावीर स्वामी के इन सिद्धांतों को जीवन में आज ही अपनाए, सफल रहेगी जिंदगी

महावीर जंयती का पर्व महावीर स्वामी के जन्म दिन पर मनाया जाता है. यह त्योहार जैन लोगों के लिए बहुत ही खास माना जाता है. 

21 अप्रैल यानी आज महावीर जयंती मनाई जा रही है. महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर माने जाते हैं. 

30 साल की उम्र में महावीर स्वामी ने राजवैभव त्याग कर, संन्यास का रूप धारण कर लिया था. 

जैन धर्म के लिए भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही संदेश है. साथ ही उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए. जिनमें हैं- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य.

अहिंसा का अर्थ है अनावश्यक हिंसा न करना. यह अहिंसा केवल मनुष्यों पर नहीं, बल्कि जानवरों, पौधों और सूक्ष्म जीवों पर भी लागू होती है. यानी कि किसी के साथ हिंसा नहीं करनी चाहिए.

अहिंसा

सत्य का अर्थ केवल हर समय सच बोलना नहीं है, बल्कि ऐसा सच न बोलना जो दूसरों को आघात पहुंचाए भी सत्य है. इसका पालन कर के हम किसी अन्य व्यक्ति के साथ विश्वास का बंधन बना सकते हैं

सत्य

इसका अर्थ है चोरी न करना अर्थात बिना अनुमति के अथवा बलपूर्वक किसी अन्य की वस्तु ले लेना. यानी किसी की वस्तु पर अपना हक नहीं जताते हैं. 

अस्तेय

अपने शरीर पर, स्वाद, वासना तथा अन्य इंद्रियों पर नियंत्रण रखना. इससे हम अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं. 

ब्रह्मचर्य

अनावश्यक सामग्री न जोड़ना. अर्थात केवल उतनी ही वस्तुओं का उपयोग करके जीवन जीना, जितना आवश्यक है. और यदि आप के पास आवश्यकता से अधिक है, से आप जरूरतमंदों को दान करना. 

अपरिग्रह