9 July 2025
aajtak.in
प्रेमानंद महाराज वृंदावन में सत्संग, ध्यान शिविर और आध्यात्मिक यात्राओं का संचालन करते हैं. बड़ी तादाद में भक्त उनसे मिलने आते है. वे किसी भी आयु, पृष्ठभूमि या विचारधारा वाले व्यक्ति से सहजता से जुड़ जाते हैं.
एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से अच्छे और बुरे कर्मों के बारे सवाल पूछा. भक्त ने पूछा कि स्वामी जी, क्या सच में अच्छे और बुरे कर्मों का फल मिलता है? कभी-कभी तो लगता है जैसे अच्छे लोग संघर्ष करते हैं और बुरे लोग सुख में हैं.
प्रेमानंद महाराज ने जवाब देते हुए कहा कि कर्मों का हिसाब ब्रह्मांड बहुत सटीक तरीके से रखता है. इसमें देर हो सकती है, लेकिन अंधेर नहीं है. हम अच्छा बुरा जो भी हासिल करते हैं वो हमारे कर्मों का ही फल होता है.
उन्होंने समझाते हुए कहा कि अच्छे कर्म तुरंत प्रतिफल न भी दें, तो भी वे व्यक्ति के जीवन में शांति, स्थिरता और आत्मिक संतोष लेकर आते हैं. ऐसे कर्म व्यक्ति को एक सत्पथ पर ले जाते हैं, जहां उसका मन भी निर्मल होता है और भाग्य भी.
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि अगले जन्मों में भी अच्छे कर्मों का फल मिलता है . जैसे बेहतर परिस्थितियां, सत्संग, और आध्यात्मिक उन्नति के रूप में अच्छे कर्म हमारे सामने आते हैं.
प्रेमानंद जी ने आगे कहा कि बुरे कर्म शुरू में सुखद लग सकते हैं, पर वे भीतर ही भीतर दुख और अशांति का कारण बनते हैं. इसलिए इंसान को बुरे कर्मों से बचना चाहिए. इनका परिणाम निश्चित है .
प्रेमानंद जी ने अंत में कहा कि भगवान न्याय करते हैं, पक्षपात नहीं. तू बस अपने कर्मों को पवित्र रख, फल की चिंता उन्हें सौंप दे.
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि अच्छे कर्म आशीर्वाद बनकर लौटते हैं और बुरे कर्म सीख या सजा बनकर लौटते हैं.