16 Aug 2025
Photo: AI Generated
आज देशभर में जन्माष्टी के त्योहार की धूम है. मंदिरों में श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए भक्त लंबी कतारों में खड़े हैं. हर तरफ कन्हैया के जयकारे गूंज रहे हैं.
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र के संयोग में हुआ था.
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लेकिन इस बार अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है. रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त को तड़के 4 बजकर 38 मिनट पर ब्रह्म मुहूर्त में लगेगा.
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शास्त्रों के अनुसार अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग में जन्माष्टमी व्रत और पूजा करने से तीन जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और शत्रुओं का दमन होता है.
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विद्वान ज्योतिषविद और श्रद्धालु आज भी रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी की पूजा को शुभ मानते हैं, लेकिन इस बार 16 अगस्त को यह नक्षत्र नहीं है.
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फिर भी जो श्रद्धालु 17 अगस्त को तड़के रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करना चाहते हैं, उन्हें इसकी पूजन विधि जरूर जाननी चाहिए.
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इस बार रोहिणी नक्षत्र अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद 17 अगस्त को तड़के 04.38 बजे लग जाएगा. इस शुभ घड़ी में भगवान के सामने एक दीपक प्रज्वलित करें.
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उन्हें पंचामृत, माखन-मिश्री, फल या मिठाई का भोग लगाएं. भगवान के मंत्रों का जाप करें. और कुछ देर वहीं बैठकर भगवान से अपने जीवन में चल रही समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करें.
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