16 Aug 2025
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भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है.
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देशभर में आज, 16 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इस दिन श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है.
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शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं. उनके जीवन से जुड़ी हर वस्तु का अपना खास महत्व है.
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श्रीकृष्ण को बांसुरी और मोरपंख बेहद प्रिय थे. कहते हैं कि जब उन्होंने गोकुल छोड़ा, तो अपनी बांसुरी त्याग दी थी, लेकिन मोर मुकुट को कभी नहीं छोड़ा था.
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मोर का पंख केवल श्रृंगार की वस्तु नहीं है, बल्कि इससे राहु ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है.
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ऐसे में जन्माष्टमी पर मोर पंख से जूड़े कुछ खास वास्तु नियमों को अपनाने से जातक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है.
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शास्त्रों के अनुसार, इस दिन राधा-कृष्ण की तस्वीर पर मोरपंख लगाकर उसे घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें. मान्यता है कि इससे परिवार की आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है.
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दांपत्य जीवन में यदि तनाव या कलह हो, तो जन्माष्टमी पर कृष्ण मंदिर में मोर पंख अर्पित कर उसे शयनकक्ष में स्थापित करें. ऐसा करने से दाम्पत्य संबंधों में मधुरता आती है.
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घर की नकारात्मकता को दूर करने के लिए मुख्य द्वार पर क्रॉस के रूप में दो मोरपंख लगाएं. माना जाता है कि इससे घर-परिवार में शांति बनी रहती है.
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ध्यान रखें कि मोर पंख का सिरा हमेशा ऊपर की ओर होना चाहिए. तभी इसका प्रभाव सकारात्मक और कल्याणकारी होता है.
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