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पुरी में भगवान जगन्नाथ की 146वीं रथयात्रा शुरू हो चुकी है. इस दौरान लाखों लोग पुरी पहुंचकर ऐतिहासिक यात्रा का आनंद ले रहे हैं.
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मंदिर में भगवान को हर दिन 6 बार भोग लगाया जाता है जो दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में बनता है.
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मंदिर की इस रसोई को राजा दिव्य सिंहदेव ने बनवाया था. इसी रसोई से भगवान का भोग बनता है.
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Magazines.odisha.gov.in के मुताबिक, त्योहारों के दिनों में एक लाख लोग तक यहां खाना खा लेते हैं. भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई को दुनिया में सबसे बड़ा माना जाता है.
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यह रसोई मंदिर के बाहरी परिसर के दक्षिण पूर्व कोने में स्थित है. यह 20 फीट ऊंची, 100 फीट लंबी और 80 फीट चौड़ी है.
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रसोई में 32 कमरों में 240 मिट्टी के चूल्हे हैं. मंदिर में हर दिन लगभग 1000 रसोइए और सहायक भगवान का भोजन तैयार करने के लिए यहां काम करते हैं.
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भोग रोजाना 700 मिट्टी की छोटी-बड़ी हाांडियों में तैयार होता है. बड़ी हांडी में 100 लोगों के लिए चावल तैयार होता है.
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175 चूल्हों पर चावल बनते हैं. 9 बर्तन एक चूल्हे पर एक साथ रखे जाते हैं, जिससे 15 मिनट में एक साथ 17500 लोगों का खाना तैयार हो जाता है.
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भोग में आयुर्वेद के 6 रस यानी मीठा, खट्टा, मकीन, तीखा, कड़वा और कसैला रस का खास ध्यान रखा जाता है.
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भगवान के भोग के लिए रोजाना 56 भोग बनते हैं, जिसमें 10 तरह की मिठाइयां होती हैं. खाने में लौंग, आलू, टमाटर, लहसुन, प्याज और फूलगोभी का इस्तेमाल नहीं होता.
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