4 May 2025
aajtak.in
भगवान शिव के दर्शन के लिए केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू हो चुकी है. और हर साल की तरह इस बार भी भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं.
केदारनाथ जाने वाले कई तीर्थयात्रियों को यह यात्रा शारीरिक रूप से चुनौतिपूर्ण लगती है, इसलिए उनके पास पालकी, खच्चर और पिट्ठू लेने का विकल्प होता है.
आमभाषा में इन पिट्ठू को कंडी भी कहा जाता है. यह एक तरह की मानव चलित सवारी है, जिसमें पिट्ठू वाले अपनी पीठ पर यात्रियों को उठाकर ले जाते हैं.
केदारनाथ की इस यात्रा में सबसे अहम भूमिका पिट्ठू वालों की ही मानी गई है, जिनमें इन्हें कई कठिनाइयों जैसे खराब रास्ते, भारी वजन और कम मेहनताना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
वहीं, केदारनाथ पहुंची aajtak.in की टीम से भी एक नेपाली लड़के ने अपने इसी पेशे से जुड़ी समस्या को साझा किया. उस लड़के ने अपना नाम कमल बताया और इसकी उम्र मात्र 20 साल है.
इस लड़के ने बताया कि, 'नेपाल में उसे पैसों की समस्या थी इसलिए वह केदारनाथ पिट्ठू का काम करने आया है.'
आगे उसने बताया कि, 'सवारी को पिट्ठू से ऊपर ले जाने में लगभग 6 घंटे का समय लग जाता है और यह काम वो पहली बार कर रहा है.'
'वो यहां पैसे कमाने आया है जिसके लिए वो ये परेशानियां भी उठा रहा है और जो उसको पैसा मिलता है वो अपने घर भेज देता है.'
उस लड़के ने आगे बताया कि, 'जब ये लोग किसी सवारी को ऊपर लेकर जाते हैं उसका दर्द लगभग 7 दिनों तक रहता है और कई बार दर्द उससे ज्यादा भी खीच जाता है.' इसके बाद भी वह रुक नहीं सकता है, क्योंकि यही पैसा उसका जीवन चलाता है.