हिंदू पंचांग के अनुसार, कजरी तीज का व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है.
इस बार कजरी तीज 2 सितंबर को मनाई जाएगी. कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं.
कजरी तीज को बुढ़ी तीज और सातुड़ी तीज के नाम से जाना जाता है. कजरी तीज के दिन गायों की सबसे ज्यादा उपासना की जाती है.
इस बार कजरी तीज पर बेहद शुभ योग बनने जा रहा है. दरअसल, कजरी तीज पर श्रावण नक्षत्र का योग बनने जा रहा है.
इस दिन तृतीया तिथि की शुरुआत 1 सितंबर को रात 11:50 से शुरू होगी और इसका समापन 2 सितंबर को रात 8:49 मिनट पर समाप्त होगा.
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7:57 मिनट से सुबह 9:31 मिनट तक रहेगा. रात में मुहूर्त 9:45 मिनट से 11:12 मिनट तक रहेगा.
कजरी तीज के दिन नीमड़ी माता की पूजा का विधान है. इस दिन पूजन से पहले उनकी प्रतिमा तैयार कर लें. इसके बाद माता को जल और रोली के छींटे दें और चावल चढ़ाएं.
उसके बाद नीमड़ी माता को मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं. और फिर नीमड़ी माता को फल और दक्षिणा चढ़ाएं और रात में फिर अर्घ्य दें.
कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाओं को दान धर्म का कार्य करना चाहिए. ऐसा करने घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.