13 april 2025
aajtak.in
हर व्यक्ति अपने जन्म और मृत्यु को लेकर कुछ न कुछ चिंता या विचार करता है. वहीं, एक व्यक्ति प्रेमानंद जी के पास अपनी फरियाद लेकर पहुंचा.
उसने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि 'क्या मृत्यु का समय और स्थान पहले से निर्धारित होता है.'
जिसपर प्रेमानंद महाराज ने उत्तर देते हुए कहा कि, ' हां मृत्यु का समय और स्थान पहले से ही निर्धारित होता है. लेकिन इसको बदला जा सकता है.'
'व्यक्ति कोई पशु थोड़ी है जो सामान घटनाक्रम से बंधे रहें और अगर घटनाक्रम की डोर से बंधें रहेंगे तो भगवत प्राप्ति कैसे होगी.'
'ईश्वर की भक्ति करना किसी की कुंडली या भाग्य में नहीं लिखा होता है. बल्कि भगवान की भक्ति का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ है जिससे हम अपने कर्मों में सुधार कर सकें.'
'हम चाहें तो अपने कर्म बिगाड़ कर भूत-प्रेत बन सकते हैं या कोई जानवर भी बन सकते हैं. लेकिन मनुष्य को दुख- सुख भूलकर आगे बढ़ना चाहिए. क्योंकि हर मनुष्य ईश्वर की देन हैं.'
'मनुष्य को दुख-सुख भूलकर ईश्वर की भक्ति और ईश्वर को प्राप्त करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि ये मनुष्य रूपी जन्म बहुत ही खास है.'
'मनुष्य चाहे तो अपनी भक्ति से अपने ईश्वर को भी बस में कर सकता है लेकिन चाह अच्छी रखो तो सब कुछ अच्छा होगा.'
'दूसरों को सुख पहुंचाओ, दूसरों के काम आओ, भगवान का भजन करो. अगर हमारा वर्तमान का समय भगवान में जा रहा है तो हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है.'