'ना शिव सेवा छोड़ सकता, ना राधा...', भक्ति पर प्रेमानंद महाराज ने दिया समाधान

19 July 2025

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भारत में अनेकों देवी-देवताओं की पूजा और भक्ति की जाती है. हर व्यक्ति जीवन में सुख, शांति और सफलता चाहता है, इसलिए वह किसी न किसी भगवान की भक्ति करता है.

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लेकिन, सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि हर भगवान का अपना विशेष गुण और स्वरूप है, जिसका प्रभाव हमारे जीवन पर अलग अलग तरीके से पड़ता है.

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ऐसा ही प्रश्न लेकर एक भक्त प्रेमानंद महाराज के पास पहुंचा और उसने चिंतित होकर महाराज जी से कहा कि, 'मैं ना तो शिव सेवा छोड़ सकता हूं और ना राधा जी की सेवा छोड़ सकता हूं, बहुत मुश्किल में हूं.'

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प्रेमानंद महाराज इसका बहुत ही प्यारा सा उत्तर देते हुए कहते हैं कि, 'हमें नहीं पता कि आप कितने बड़े शिवभक्त हैं लेकिन अपने मन को पता कि शिव जी और माता अंबा से बड़ी कोई सत्ता नहीं है.'

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'सच यह है कि तन, मन, वचन, और प्राण सब कुछ शिवजी को समर्पित होना चाहिए. यही बात काशी नगरी के उन घाटों पर महसूस होती है, जहां शिवजी का असली स्थान है.'

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फिर प्रेमानंद महाराज भक्ति की कथा सुनाते हुए कहते हैं कि, 'पूज्य राधा बाबा का बचपन सुनकर बड़ा अजीब लगता है. बचपन में उन्होंने सुना था कि भगवान शिव को खुश करने के लिए कोई बड़ी चीज करनी पड़ती है. लेकिन बाद में पता चला कि ऐसा नहीं है.'

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'भगवान शिव को खुश करना इतना मुश्किल काम नहीं है और उन्हें चिता की भस्म यानी राख बहुत पसंद होती है. तो एक बार गांव के पास नदी किनारे कोई अंतिम संस्कार हो रहा था, वहां वो दौड़कर आए भस्म ली और शिवजी के मंदिर में जाकर वह चढ़ा दी.'

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'उनकी बड़ी खास बात यह थी कि जब वे आखिरी समय में थे, तो उनकी जीभ पर बार-बार 'राधा राधा' निकलता रहता था. इसलिए लोग उन्हें ‘राधा बाबा’ कहते थे.'

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'अगर आपको ‘राधा’ नाम सुनकर थोड़ा अजीब लगे, तो समझो महादेव की बड़ी कृपा आपके ऊपर है. क्योंकि राधा और शिव का गहरा संबंध है.'

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