26 apr 2025
aajtak.in
अक्सर जब कोई करीबी दूर चला जाता है तो वह व्यक्ति अकेलापन, उदासी और दुख महसूस करने लगता है.
ऐसी ही समस्या लेकर एक व्यक्ति प्रेमानंद महाराज के पास पहुंचा और उसने कहा कि, 'ये सोचकर बहुत कष्ट होता है कि एक दिन महाराज आप हमें छोड़कर चले जाएंगे.'
प्रेमानंद महाराज ने उत्तर देते हुए कहा कि, ' ये एक भगवान की लीला है जिसमें हर व्यक्ति को ये दुनिया छोड़कर जाना पड़ता है. जितनी आयु है, जितनी श्वास है उतना ही जीवन है.'
'जब तक स्वास्थ्य है तब तक आनंद ले लो. क्योंकि उसके बाद मृत्यु लोक में जाना पड़ता है और मरना ही पड़ता है.'
'जब बड़े बड़े महापुरुष अंतर्ध्यान हो गए हैं, हम तो सिर्फ मामूली इंसान ही है
आगे प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि, 'जीवनभर बस नाम जब करो, जो उपदेश सुना है उसे आचरण में उतारो यही संतों का सानिध्य है.'
' बड़े बड़े सिद्धों को भी शरीर छोड़कर जाना ही पड़ा था क्योंकि शरीर किसी का टिकाऊ नहीं है.'
'अगर ये जीवन मिला है तो इसमें मृत्यु भी आएगी, क्योंकि इसी का नाम जीवनचक्र है.'