घर में पूजा का स्थान सही दिशा में होना चाहिए. वास्तु के नियमों का ध्यान ना रखने पर घर में दरिद्रता आती है.
पूजा कक्ष बनाने के लिए उत्तर-पूर्व, पूर्व या उत्तर दिशा को प्राथमिकता दें. ये दिशाएं ज्यादा शुभ होती हैं.
पूजा कक्ष कभी भी सीढ़ियों के नीचे या फिर शौचालय के बगल में ना बनाएं.
पूजा का स्थान घर के भूतल पर बनाना चाहिए. पूजा कक्ष बेसमेंट में या ऊंचे स्थान पर नहीं होना चाहिए.
प्रार्थना कक्ष के अंदर मूर्तियों को रखने से बचना चाहिए लेकिन छोटी मूर्तियां रखी जा सकती हैं.
मूर्तियों की स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि प्रार्थना करते समय व्यक्ति का मुख पूर्व या उत्तर की ओर हो.
इस बात का ध्यान रखें कि पूजा कक्ष हमेशा धूप की महक से सुगंधित रहे.
प्रार्थना की किताबें, बत्ती, दीपक को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें. इन्हें मूर्ति के ऊपर नहीं रखा जाना चाहिए.
पूजा कक्ष के लिए हल्के नीले, सफेद और हल्के पीले जैसे शांत रंगों को चुनें.
पूजा कक्ष में भूल से भी मृत्यु, युद्ध जैसी अनिष्ट शक्तियों को प्रदर्शित करने वाली तस्वीरें नहीं रखें.
इस स्थान के आस पास कूड़ेदान भी नहीं होना चाहिए.