12 apr 2025
aajtak.in
हनुमान जयंती का पर्व 12 अप्रैल यानी आज मनाया जा रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जंयती का पर्व मनाया जाता है.
हनुमान जी को कलयुग का देवता माना जाता है क्योंकि हनुमान जी एक चिरंजीवी है और उन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है.
वहीं, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी के अलावा भी 6 ओर चिरंजीवी भी है और इन सभी को 'सप्त चिरंजीवी' के नाम से भी जाना जाता है.
ऐसा कहते हैं कि ये सभी चिरंजीवी अलग अलग युगों से संबंधित हैं, जिनमें से कुछ वरदान की वजह से अमर हैं और कुछ श्राप की वजह से अमर हैं. तो चलिए विस्तार से जानते हैं उन 7 चिरंजीवियों के बारे में.
हनुमान जी सात चिरंजीवियों में से एक है. हनुमान जी भगवान राम के भक्त माने जाते हैं. हनुमान जी अपनी शक्ति, भक्ति और साहस के लिए प्रसिद्ध हैं.
कहते हैं कि जब श्री राम बैकुंठ जा रहे थे जब उन्होंने हनुमान से धरती पर रहने की इच्छा व्यक्त की थी. इसके अलावा, ऐसा भी कहते हैं कि सीताजी ने हनुमान जी को लंका की अशोक वाटिका में श्रीराम का संदेश सुनने के बाद आशीर्वाद दिया था कि वे अमर रहेंगे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है अश्वत्थामा आज भी धरती पर जीवित हैं. कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप देते हुए कहा था कि वह हमेशा के लिए अमर रहेगा और अनंतकाल तक अकेले ही भटकता रहेगा.
परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं. और परशुराम को भी अमर रहने का वरदान प्राप्त था. उनके जीवन का उद्देश्य धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश था.
राजा महाबली जिन्हें महाबलि या बलि भी कहा जाता है और यह भी हिंदू धर्म के सात चिरंजीवियों में से एक हैं. राजा महाबली अपने न्यायप्रिय शासन और प्रजा के प्रति अत्यंत समर्पण के लिए प्रसिद्ध थे.
एक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के वामन अवतार ने महाबली से पृथ्वी का तीन पग मांगा था और बदले में राजा बली को पाताल लोक का राजा और अमर होने का वरदान दिया था.
महर्षि वेदव्यास भी सात चिरंजीवियों में से एक हैं जिन्होंने महाभारत की रचना की थी. कहते हैं कि इन्हें भी अनंतकाल तक अमरत्व और त्रिकालदर्शी होने का वरदान मिला था.
विभीषण रावण के छोटे भाई थे और उन्हें सत्य और न्याय के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. अंत में रावण को पराजित करने के बाद श्री राम ने विभीषण को लंका का राजा नियुक्त किया और अमर रहने का वरदान भी दिया.
कृपाचार्य भी सात चिरंजीवियों में से एक हैं. कहते हैं कि उन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ दिया और उनकी सेना के प्रमुख योद्धाओं में से एक थे. लेकिन, उन्होंने पांडवों को धर्म और नीति का ज्ञान दिया था.