चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर साल हनुमान जयंती मनाई जाती है. इस बार हनुमान जयंती 23 अप्रैल को मनाई जाएगी.
हनुमान जी को कलयुग का देवता माना जाता है. रामायण के सुन्दर कांड और तुलसीदास की हनुमान चालीसा में बजरंगबली के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है.
तो आइए जानते हैं हनुमान जी के उन गुणों के बारे में जिनसे जीवन के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं.
जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका की तरफ जा रहे थे. तो समुद्र ने उनसे मैनाक पर्वत पर आराम करने के लिए कहा. लेकिन, हनुमान जी ने मना कर दिया.
लेकिन, समुद्र की बात का सम्मान रखने के लिए हनुमान जी ने मैनाक पर्वत को छुआ और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ गए. इससे यह सीखने को मिलता है कि जब तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए, हमें रुकना नहीं चाहिए.
हनुमान जी भगवान राम के प्रति अपनी अटूट भक्ति का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. उनकी निष्ठा और समर्पण सच्ची भक्ति के सार का प्रतीक है.
जब हनुमान जी समुद्र पार कर रहे थे तो बीच में राक्षसी सुरसा ने रास्ता रोक लिया. हनुमान जी समय खराब नहीं करना चाहते थे, तो हनुमान जी ने सुरसा के मुंह में जाकर अपना विराट आकार बना लिया. फिर अचानक से सूक्ष्म रूप करके उसके मुंह से बाहर आ गए. इस चतुराई से खुश होकर सुरसा ने रास्ता छोड़ दिया.
इसलिए, हमें भी व्यर्थ मामलों में पड़ने के बजाय चतुराई से आगे बढ़ना चाहिए. कभी कभी बल नहीं, बुद्धि से काम लेना चाहिए.
तुलसीदास जी कहते हैं- ''ब्रह्मा अस्त्र तेंहि साधा, कपि मन कीन्ह विचार। जौ न ब्रहासर मानऊं, महिमा मिटाई अपार।। ''
जब मेघनाद ने हनुमान जी पर ब्रह्मास्त्र चलाया तो उन्होंने उसका आघात सह लिया. वो चाहते तो इसका तोड़ निकल सकते थे. लेकिन, वो ब्रह्मास्त्र का मान कम नहीं करना चाहते थे. इसलिए, अपने आदर्शों का सम्मान करें और उन पर अडिग रहें.