30 Apr 2025
Aajtak.in
स्वर्ग और नरक की प्राप्ति हमारे कर्मों पर निर्भर करती है. अच्छे और पुण्य कर्म करने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. वहीं पाप कर्म करने वाले को नरक में जाना पड़ता है.
पुराणों के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार दंड या पुरस्कार प्रदान करते हैं.
आइए गरुड़ पुराण के माध्यम से जानते हैं कि किस आत्मा को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और किसे नरक में जाना पड़ता है.
गरुड़ पुराण के 14वें अध्याय में उल्लेख है कि जब कोई आत्मा मृत्यु के बाद यमलोक पहुंचती है, तो उसके सामने एक 12,800 किलोमीटर में फैला हुआ, चकोर चारदीवारी से घिरा हुआ नगर आता है जिसे धर्मराजपुर कहा गया है.
इस नगरी के चारों ओर चार दिशाओं में चार द्वार हैं, जहाँ यमराज स्वयं निवास करते हैं.
जो व्यक्ति जीवन में दया, दान, भक्ति, सच्चाई, और माता-पिता की सेवा करता है, उन पुण्य आत्माओं को पूर्व, उत्तर और पश्चिम दिशाओं के द्वारों से धर्मराजपुर में प्रवेश मिलता है. ऐसी आत्माएं धर्मराजपुर में सुख-सुविधाओं और सम्मान के साथ निवास करती हैं.
इसके विपरीत, जो व्यक्ति ब्राह्मण हत्या, बाल हत्या, विश्वासघात, माता-पिता को कष्ट, पितरों को तर्पण न देना, वृषभ वध और मद्यपान जैसे पाप कर्म करता है, उन्हें दक्षिण दिशा के भयानक द्वार से प्रवेश मिलता है.
यह मार्ग अत्यंत कष्टदायक और डरावना होता है, जहां पापी आत्मा को यमराज का विकराल रूप देखने को मिलता है. उसे देखते ही पापी आत्मा कांप उठती है और दया की भीख मांगने लगती है.