5 Sep 2025
aajtak.in
6 सितंबर यानी कल अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन गणेश उत्सव का समापन होगा और भक्त बप्पा को विदाई देते हुए गणपति विसर्जन करेंगे.
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आपने अक्सर नदियों, तालाबों या घाटों पर बप्पा की विसर्जित की गई मूर्तियों को जहां-तहां पड़े देखा होगा. वृंदावन के प्रेमानंद महाराज ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
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हाल ही में एक भक्त ने महाराज से प्रश्न किया कि गणेश उत्सव में लोग श्रद्धा के अनुसार 3, 5, 7 या 11 दिन तक बप्पा को अपने घरों में विराजमान रखते हैं. और उसके उनका विसर्जन कर देते हैं, क्यों?
Photo: Instagram/ @bhajanmarg_official
इस पर प्रेमानंद जी ने कहा कि भक्त पूरे उत्सव मेंगणपति जी की पूजा करते हैं. लेकिन विसर्जन के समय मूर्तियों को नदी-तालाब में डाल देते हैं. फिर जब वो किनरों पर आ जाती हैं तो उन्हें जेसीबी आदि से हटवाया जाता है.
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महाराज ने आगे कहा "जिसे आप इतने दिनों तक तिलक लगाकर, भोग लगाकर, आरती उतारकर पूजते हैं, उसी प्रतिमा को इस स्थिति में पहुंचा देना कहां तक सही है."
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प्रेमानंद जी ने कहा कि भगवान की मूर्तियों का अपमान किसी भी रूप में नहीं होना चाहिए. यदि आपको गणेश जी या किसी भी देवी-देवता की मूर्ति का विसर्जन करना हो, तो इसके लिए एक सम्मानजनक तरीका अपनाएं.
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उन्होंने सुझाव दिया कि घर या किसी अन्य स्थान पर एक छोटा तालाब या कुंड बना लें. उसमें जल भरकर मूर्ति का विसर्जन करें. इससे न तो मूर्ति पर जेसीबी चलेगी और न ही किसी के पैर पड़ेंगे.
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यदि तालाब की सुविधा उपलब्ध न हो, तो एक गहरा गड्ढा खोदकर मूर्ति को उसमें स्थापित करें. इससे मूर्ति भी सम्मानपूर्वक विसर्जित हो जाएगी और श्रद्धा भी बनी रहेगी.
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प्रेमानंद जी ने कहा "जब आपने श्रद्धा से पूजा की, तो वह मूर्ति भगवान ही है. विसर्जन के बाद भी उनकी गरिमा बनी रहनी चाहिए. यह कैसे मान लिया जाए कि पूजा पूरी होने के बाद वो भगवान नहीं रहे."
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