23 Aug 2025
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हर साल गणेश उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. 26 अगस्त को गणेश चतुर्थी से इसकी शुरुआत होगी और 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर यह महापर्व समाप्त हो जाएगा.
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गणेशोत्सव में भगवान को फल, फूल, मिठाई, दूर्वा आदि अर्पित की जाती हैं. लेकिन तुलसी कभी अर्पित नहीं करते हैं. क्या आप इसकी वजह जानते हैं.
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कहा जाता है कि एक बार भगवान गणेश गंगा तट पर तपस्या कर रहे थे. उसी समय देवी तुलसी तीर्थ यात्रा पर निकली हुई थीं.
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जब वे गंगा किनारे पहुंचीं तो उन्होंने तपस्या में लीन गणेश जी को देखा. गणेश जी रत्न-जड़ित सिंहासन पर विराजमान थे. उनके शरीर पर चंदन लगा था. गले में सुंदर पुष्प-मालाएं और रत्नों के आभूषण थे.
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यह रूप देखकर तुलसी मोहित हो गईंं और उनके मन में गणेश जी से विवाह करने की इच्छा जाग उठी. तुलसी ने विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन गणेश जी ने कहा कि वे ब्रह्मचारी हैं और विवाह नहीं करेंगे.
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प्रस्ताव अस्वीकार होने से तुलसी क्रोधित हो गईं और उन्होंने गणेश जी को श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे.
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तब गणेश जी ने भी तुलसी को श्राप दिया कि उनका विवाह एक असुर से होगा. श्राप सुनकर तुलसी पछताईं और क्षमा मांगी.
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तब गणेश जी ने कहा कि तुम्हारा विवाह शंखचूड़ राक्षस से होगा, लेकिन आगे चलकर तुम भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय हो जाओगी.
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गणेश जी ने कहा कि कलियुग में जीवन व मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाओगी. लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा प्रयोग कभी नहीं होगा.
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