हिंदू पंचांग के अनुसार, धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार धनतेरस 10 नवंबर, शुक्रवार को पड़ेगा.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए धनतेरस का संबंध भगवान धनवंतरी से है. जिनको देवताओं के वैद्य के रूप में भी पूजा जाता है.
धनतेरस का संबंध लक्ष्मी जी के सचिव यानी कुबेर से भी माना जाता है. इस दिन धन प्राप्ति के लिए भगवान कुबेर की पूजा की जाती है.
उदयातिथि के अनुसार, धनतेरस 10 नवंबर, शुक्रवार को ही मनाया जाएगा. कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12.35 बजे से 11 नवंबर को दोपहर 01:57 बजे तक रहेगी.
इस बार का धनतेरस बेहद शुभ माना जा रहा है. इस दिन हस्तनक्षत्र, चंद्रमा शुक्र की युति से शशि योग, साथ ही शनि कुंभ में मार्गी होंगे.
माना जाता है कि हस्तनक्षत्र खरीदारी से बेहद शुभ योग माना जाता है. इस योग व्यापारी खरीदारी भी कर सकते हैं.
धनतेरस का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. इसके बाद गंगाजल छिड़कर सबकुछ शुद्ध कर लें. इसके बाद भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा लगाएं.
भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं और एक कलश स्थापित करें. देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें. लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें.
धनतेरस वाले दिन पान के पत्ते, धनिया, माता लक्ष्मी के चरण, लक्ष्मी नारायण प्रतिमा, झाड़ू, खील बताशे आदि.