29 June 2025
aajtak.in
6 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी और उसी दिन से चातुर्मास की भी शुरुआत हो जाएगी.
दरअसल, भगवान विष्णु के शयन चाल में जाते ही चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है, जो कि कार्तिक मास के देवोत्थान एकादशी पर समाप्त होती है.
चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं, जिसके कारण इस लंबी अवधि में मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है.
पौराणिक मान्यतानुसार, आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था और राजा बलि से तीन पग में पूरी सृष्टि दान में प्राप्त की थी. इसके बाद भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक की रक्षा का वचन दिया और उनके राज्य की रक्षा हेतु वे 4 महीने की योगनिद्रा में चले जाते हैं.
ज्योतिषियों के अनुसार, चातुर्मास शुरू होने से पहले कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा कर लेना चाहिए, क्योंकि इस चार महीने की अवधि में इन कार्यों के लिए उचित समय नहीं माना जाता है.
6 जुलाई से पहले शादी जैसे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है.
6 जुलाई से पूर्व मुंडन संस्कार, गृहप्रवेश जैसे कार्यों को पूरा कर लें क्योंकि चातुर्मास के दौरान इन कार्यों के लिए शुभ समय नहीं होता और 4 महीने तक इन्हें टालना पड़ सकता है.
चातुर्मास की अवधि में पूजा के लिए कोई विशेष मुहूर्त नहीं होता, इसलिए यदि कोई विशेष पूजा करवानी है तो उसे चातुर्मास से पहले ही पूर्ण करवा लें, उचित होगा.