हिंदू धर्म में चार विशेष महीने होते हैं जिनमे उपवास, व्रत और जप ताप का विशेष महत्व होता है, वे महीने हैं- सावन, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक.
देवशयनी एकादशी से ही चातुर्मास की शुरुआत होती है जो कार्तिक के देव प्रबोधिनी एकादशी तक चलती है.
इस समय श्री हरि विष्णु योगनिद्रा में लीन रहते हैं इसलिए इस समय किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है.
आषाढ़ के महीने में श्रीहरि ने वामन रूप में अवतार लिया था और साथ ही राजा बलि से तीन पग में सारी सृष्टि दान में ले ली थी.
श्रीहरि ने राजा बलि को उसके पाताल लोक की रक्षा करने का वचन दिया और श्रीहरि अपने समस्त स्वरूपों से राजा बलि के राज्य की पहरेदारी करते हैं. इस अवस्था में कहते हैं कि भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं.
इस बार चातुर्मास 17 जुलाई, बुधवार से शुरू होंगे और समापन 12 नवंबर को होगा. जब देवउठनी एकादशी होगी.
आषाढ़ के महीने में अंतिम समय में भगवान वामन और गुरू पूजा का विशेष महत्व होता है. सावन में भगवान शिव की पूजा होती है.
भाद्रपद में भगवान कृष्ण का जन्म होता है और उनकी कृपा मिलती है. आश्विन में देवी और शक्ति की उपासना की जाती है.
कार्तिक मास में भगवान विष्णु का जागरण होता है. भगवान विष्णु योगनिद्रा से जग जाते हैं और सृष्टि में मंगलकार्य आरंभ हो जाते हैं.
चार महीने की इस अवधि को चातुर्मास कहते हैं. इस दौरान कोई शुभ कार्य जैसे वैवाहिक कार्य, भूमि पूजन, मुंडन नहीं किए जाते हैं.