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भूलकर भी दूसरों के सामने न करें बेटे की तारीफ, चाणक्य ने बताया कारण

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10 May 2025

By- Aajtak.in

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आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कहा है कि एक पिता को समाज में अपने बेटे की तारीफ करने से बचना चाहिए. 

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आचार्य चाणक्य के अनुसार, चाहे किसी के घर कितना भी गुणवान पुत्र हो, इसके बावजूद उसके गुणों की सराहना नहीं करनी चाहिए.

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पिता को समय-समय पर पुत्र को उत्साहित जरूर करना चाहिए लेकिन उसके गुणों का उल्लेख दूसरों के सामने नहीं करना चाहिए. 

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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि समाज में दूसरों के सामने पुत्र की प्रशंसा करने वाला व्यक्ति हंसी का पात्र भी बन सकता है.

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पुत्र की तारीफ करना भी दूसरों के बीच खुद की तारीफ करने जैसा है. इस आदत का लोग बाद में खूब मजाक उड़ा सकते हैं.

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पिता की इस गलती की वजह से समाज में घर-परिवार के सम्मान पर भी बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है.

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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पिता समाज में बार-बार पुत्र की तारीफ करेगा तो लोग उसकी बातों पर भरोसा करना छोड़ देंगे.

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अगर किसी घर में गुणवान पुत्र रहता है तो खुद-ब-खुद उसका नाम समाज में रोशन होने लग जाता है. तारीफ की जरूरत नहीं पड़ती है.