4 july 2025
Aajtak.in
आज के युग में बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा एक बड़ी जरूरत बन गया है. लोग कर्ज लेकर भी इन जरूरतों को पूरा करते हैं.
रुपयों का उधार लेन-देन बुरी बात नहीं है. लेकिन आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है कि हमें 5 तरह के लोगों को कभी धन उधार नहीं देना चाहिए.
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चाणक्य कहते हैं कि जो लोग बुरे कार्यों में लिप्त हों और धोखेबाजी और जालसाजी में माहिर हों, उन्हें धन उधार देने का मतलब अपनी गाढ़ी कमाई को डुबाना है.
ऐसे लोग अपने बुरे वक्त में आपसे पैसा उधार तो ले लेते हैं, लेकिन लौटाने के समय रंजिश बना लेते हैं. आपके एहसान को ये बिल्कुल याद नहीं रखते.
चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख लोगों को अपनी मेहनत की कमाई कभी न सौंपें. इनका गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार आपकी कमाई डुबा देगा.
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लोभी या लालची व्यक्ति के हाथ में अपनी मेहनत की कमाई कभी न दें. पैसा लौटाने के वक्त ऐसे लोगों की नीयत कभी भी पलट सकती है.
अहंकारी लोगों को भी पैसा उधार देने से बचना चाहिए. ऐसे लोग मनमाने ढंग से पैसों का गलत इस्तेमाल करते हैं.
ऐसे लोगों का अहंकार ही इनके पतन का कारण बनता है. इनके वजूद के साथ ही आपकी कमाई, समय और ऊर्जा भी खत्म हो जाते हैं.