4 Nov 2024
AajTak.In
आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब चाणक्य नीति में जीवन को सफल और खुशहाल बनाने के लिए नीतियां और उपाए बताए हैं.
चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के 6वें अध्याय के 10वें श्लोक में एक श्लोक कहा है- 'राजा राष्ट्रकृतं पापं राज्ञ: पापं पुरोहित:। भर्ता च स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा।।'
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने बताया है कि हमें कब दूसरे लोगों के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
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1. चाणक्य कहते हैं कि पति-पत्नी को आजीवन एक-दूसरे की गलतियों का फल भोगना पड़ता है. इसलिए दोनों को अपनी गलतियों पर ध्यान देना चाहिए.
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ध्यान रहे कि अगर पति कुछ गलत करेगा तो उसका फल पत्नी को भोगना पड़ेगा और अगर पत्नी कुछ गलत करती है तो उसका फल पति को भोगना पड़ेगा.
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2. जब किसी देश के लोग गलत काम करते हैं तो उसका फल शासक को भोगना पड़ता है. क्योंकि शासक की जिम्मेदारी होती है कि जनता गलत काम न करें.
इसी तरह, अगर राजा कोई गलती करता है तो जनता को उसका फल भोगना पड़ता है. क्योंकि उसकी गलती का प्रभाव लोगों पर पड़ता है.
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3. चाणक्य के अनुसार, यदि शिष्य गलत काम करता है तो उसका बुरा फल गुरु को मिलता है. इसलिए उसे सही रास्ते पर लाने की जिम्मेदारी गुरु की होती है.
इसी तरह अगर गुरु कोई गलत काम करता है तो इसका फल शिष्य को भी भुगतना पड़ता है. क्योंकि गुरु के नाम से ही समाज में शिष्य की पहचान होती है.
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