11 May 2025
aajtak.in
वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. माना जाता है कि आज के दिन ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था. गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है.
भगवान गौतम बुद्ध को विश्व के प्राचीनतम धर्मों में एक बौद्ध धर्म का प्रवर्तक माना गया है. उनके अनमोल विचारों से जीवन की दशा और दिशा बदल जाती और नई प्रेरणा मिलती है.
उन्हीं में से एक विचार हैं- 4 पत्नियों का होना. गौतम बुद्ध का कहना था कि हर पुरुष की 4 पत्नियां होनी चाहिए. इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.
गौतम बुद्ध ने एक बार अपने शिष्यों से कहा था कि, एक आदमी की चार पत्नियां थीं. समय बीतने पर वो बीमार पड़ा तो उसे अपनी मौत दिखने लगी. जीवन के अंत में, वो बहुत अकेलापन महसूस करने लगा.
उसने अपनी चारों पत्नियों को एक-एक करके बुलाया और पूछने लगा, 'मेरी प्रिय पत्नी, मैंने तुम्हें सबसे ज्यादा प्रेम किया, हमेशा तुम्हारा ख्याल रखा. अब मैं मरने वाला हूं, तो क्या तुम मेरे साथ वहां चलोगी जहां मैं मृत्यु के बाद जाऊं?'
पहली पत्नी ने जवाब दिया, 'मेरे प्यारे पति, मुझे पता है कि आप हमेशा मुझसे प्यार करते थे और अब आपका अंत करीब है. ऐसे में अब आपसे अलग होने का समय आ गया है. अलविदा मेरे प्रिय.'
दूसरी पत्नी ने जवाब दिया, 'प्रिय पति, आपकी पहली पत्नी ने आपकी मृत्यु के बाद आपका साथ देने से इनकार कर दिया तो फिर मैं भला आपके साथ कैसे जा सकती हूं? आपने तो मुझे केवल अपने स्वार्थ के लिए प्यार किया है.'
व्यक्ति की तीसरी पत्नी ने कहा, 'मेरे प्रिय, मुझे आप पर दया आ रही है और अपने लिए दुख हो रहा है. इसलिए मैं अंतिम संस्कार तक आपके साथ रहूंगी. आगे नहीं जा सकूंगी.'
चौथी पत्नी ने कहा, स्वामी, मैं आपके साथ जरूर चलूंगी. आप जहां भी जाएंगे मैं भी आपके साथ चलूंगी और आपका साथ दूंगी. क्योंकि मैं खुद भी आपसे दूर नहीं रह सकती.
बुद्ध ने कहानी खत्म करते हुए कहा कि प्रत्येक पुरुष और महिला की चार पत्नियां या पति होते हैं और हर एक का खास मतलब होता है. उन्होंने बोला कि पहली पत्नी हमारा शरीर होता है, जिसे हम दिन रात प्यार करते हैं और दुर्भाग्य से जीवन के अंत में कभी साथ नहीं जाता.
दूसरी पत्नी हमारा भाग्य, धन, संपत्ति, पद और नौकरी है. इन चीजों को पाने के लिए हम जीवनभर कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन इस दुनिया में हम खाली हाथ आए हैं और मृत्यु के समय हमारे हाथ खाली होते हैं.
तीसरी पत्नी का अर्थ है रिश्ते-नाते. मृत्यु के पश्चात माता-पिता, बहन और भाई, सभी रिश्तेदारों औरदोस्त कोई भी हमारे साथ नहीं जाता है.
चौथी पत्नी है हमारा मन या चेतना. क्रोध, लोभ और असंतोष कर्म के नियम हैं. हम अपने कर्म से कभी पीछा नहीं छुड़ा सकते हैं. जैसा कि चौथी पत्नी ने अपने मरते हुए पति से कहा था, 'तुम जहां भी जाओगे, मैं तुम्हारे साथ चलूंगी.