19 apr 2025
aajtak.in
हिंदू धर्म में भंडारा का बेहद खास महत्व है. किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य में भंडारा अवश्य करवाया जाता है.
वैसे तो, भंडारे या मुफ्त खाने को एक तरह का दान माना जाता जिसको लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण कर लेते हैं. लेकिन, क्या ये सही है.
तो आइए वृंदावन में प्रवचन देने वाले प्रेमानंद जी महाराज से जानते हैं कि भंडारा या मुफ्त प्रसाद खाना चाहिए या नहीं.
प्रेमानंद जी महाराज के मुताबिक, ' अगर आप गृहस्थ हो और तीर्थ या धाम जा रहे तो वहां भंडारा या मुफ्त खाना नहीं ग्रहण करना चाहिए. '
अगर किसी मंदिर में प्रसाद मिले तो वह थोड़ा सा लो. लेकिन, भर-भर के प्रसाद लेना एकदम ठीक नहीं है.
आगे प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि आप कमाते हो तो लोगों को खिलाओ लेकिन पाने की इच्छा मत रखो.
किसी धाम में जाकर दूसरों का भंडारा या हलवा पूड़ी खाओगे तो आपकी न तो बुद्धि काम करेगी और ईश्वर भी नाराज हो जाएंगे.
प्रेमानंद महाराज के मुताबिक, ' मंदिर में मिलने वाला प्रसाद तो लिया जा सकता है लेकिन दान-पुण्य वाला प्रसाद लेना हानिकारक होगा. '
अगर आप किसी तीर्थ की परिक्रमा कर रहे तो भंडारे को प्रणाम करके आगे निकल जाओ. लेकिन, मुफ्त का खाना न खाकर आओ.
उदाहरण देते हुए महाराज कहते हैं कि जैसे आप धाम गए हो तो 100 रुपये के चने लो और कुछ दाने बंदरों को डाल दो या कुछ दाने पक्षी को डाल दो, ऐसे दान-पुण्य करना सीखो. मुफ्त खाना किसी का न खाएं.