5 Sep 2025
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हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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यह तिथि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए सबसे उत्तम होती है. साथ ही, इस दिन स्नान-दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
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भादो मास की पूर्णिमा 7 सितंबर को है. इसी दिन से पितृपक्ष भी आरंभ हो रहे हैं, 21 सितंबर तक रहेंगे.
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इस बार भादो पूर्णिमा के दिन पूर्ण चंद्र ग्रहण लग रहा है, जो भारत में दिखाई देगा. इसलिए पितृ पूजन के लिए सूतक का ध्यान भी रखना होगा.
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7 सितंबर को चंद्र ग्रहण रात 9:58 बजे से लेकर देर रात 1:26 बजे तक रहेगा. ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले शुरू होता है. ऐसे में 7 सितंबर को सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा.
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भादो पूर्णिमा पर श्राद्ध करने वाले दोपहर 12:57 बजे से पहले ही ये काम निपटा लें. क्योंकि सूतक काल में पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठान वर्जित हैं.
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पितृपक्ष में अपने पितरों को नियमित रूप से जल अर्पित करते हैं. यह जल दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दिया जाता है. जल में काला तिल मिलाकर और हाथ में कुश रखकर जल दिया जाता है.
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श्राद्ध में पितरों के नाम का पिंडदान करने की भी परंपरा है. पिंडदान के बाद गरीब ब्राह्मण को सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दी जाती है और पितरों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं.
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