21 APR 2025
अक्षय तृतीया यानी वह त्योहार जो हमें हमारे कर्मों का अक्षय फल प्रदान करता है. इसलिए पौराणिक मान्यताओं में ऐसा माना जाता है कि इस दिन हमें सत्कर्म करने चाहिए जो कि हमें अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं
शास्त्रों में अक्षय तृतीया पर जितना महत्व खरीदारी करने को दिया गया है, उतना ही महत्च इस दिन दान करने को भी बताया गया है. इस दिन जरूरतमंदों को दान करने से हमें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
अक्षय तृतीया के दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होते हैं और चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में होते हैं. ये दो महत्वपूर्ण ग्रह अपनी उच्च राशि में होते हैं, इसलिए इस दिन विशेष ग्रहयोग बनते हैं.
अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से, अक्षत अर्पित करने से, भगवाल विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस दिन आप भगवान के चरणों में मन लगाइए और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप कीजिए.
अक्षय तृतीया के दिन भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र प्रदान किया था. इस पात्र में कभी भी अन्न की कमी नहीं रहता थी. युधिष्ठिर अपने राज्य में प्रजा की भलाई के लिए इस अक्षय पात्र का इस्तेमाल किया करते थे.
अक्षय तृतीया के दिन ही सुदामा भगवान कृष्ण से मिलने द्वारका पुरी पहुंचे थे. इसी दिन भगवान कृष्ण ने सुदामा को एक लोक दे दिया, सारे वैभव प्रदान किये, और उनके सारे दुख दूर कर दिये थे.
अक्षय तृतीया का दिन विवाह करने, गृहप्रवेश करने, नई गाड़ी खरीदने, प्रॉपर्टी का सौदा करने के लिए, जमीन-घर खरीदने जैसे कार्य करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है.
अक्षय तृतीया के दिन अपने बजट अनुसार दान अवश्य करें. इससे आपका आने वाला समय बेहतर बन जाएगा. इसका पुण्य आपको इस जन्म में भी और अगले जन्म में भी प्राप्त होगा.
अक्षय तृतीया के दिन दान करने से अगले जन्म में अच्छा धन-वैभव मिलता है. इस जन्म में भी उस दान का फल अवश्य मिलता है और विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.