वृंदावन में राधा-कृष्ण के दर्शन से पहले करने चाहिए इन 5 जगहों के दर्शन

28 Apr 2025

Aajtak.in

वृंदावन, भारत के सबसे पावन और प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है. लाखों श्रद्धालु हर साल यहाँ दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शास्त्रों में वृंदावन दर्शन का एक विशेष नियम बताया गया है?

अक्सर लोग सीधे राधा वल्लभ जी, राधा रमण जी और ठाकुर बिहारी जी के मंदिरों में चले जाते हैं. लेकिन शास्त्रों के अनुसार ऐसा नहीं करना चाहिए.

इन मंदिरों के दर्शन से पहले वृंदावन के पंच दर्शन करना अत्यंत आवश्यक माना गया है.

सबसे पहले वृंदावन की भूमि पर दंडवत प्रणाम करें और वहाँ की रज (माटी) को अपने माथे पर लगाएं. यह रज स्वयं राधा-कृष्ण की चरण रज मानी जाती है.

रज

फिर वृंदावन के दिव्य वृक्षों को प्रणाम करें. ये वही वृक्ष हैं जिनके नीचे रास और लीलाएं संपन्न हुई थीं.

वृक्ष

ब्रजवासियों का आदर करें, उन्हें प्रणाम करें. वे कोई साधारण लोग नहीं हैं – वे राधे-श्याम के विशेष सेवक हैं.

ब्रजवासी

इसके बाद यमुना जी के दर्शन करें, उन्हें प्रणाम करें और यदि संभव हो तो उनका आचमन करें. कहा जाता है कि आज भी राधारानी और श्यामसुंदर प्रतिदिन यमुना जी में स्नान करते हैं और वहाँ रासलीला रचाते हैं.

यमुना जी

अंत में, गोपेश्वर महादेव के दर्शन जरूर करें. वे वृंदावन के रक्षक हैं और रास में भाग लेने के लिए स्वयं शिव जी ने गोपी रूप धारण किया था.

गोपेश्वर महादेव

इन पंच दर्शन के बाद ठाकुर जी के दर्शन करने चाहिए क्योंकि इनके दर्शन के बिना वृंदावन यात्रा अधूरी मानी जाती है.