Womens Day Shayari: मैं इस दुनिया को अब पहले से बेहतर देख सकती हूं...

8 Mar 2025

By Aajtak.in

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम मशहूर शायरात के बेहतरीन शेर लेकर आए है. ये अशआर सिर्फ अल्फाज़ नहीं, बल्कि महिलाओं के जज़्बे, हौसले और खूबसूरती की गवाही देते हैं.

Womens Day Shayari

Photos: Pexels

खुशी की बात है या दुख का मंजर देख सकती हूं तेरी आवाज का चेहरा मैं छूकर देख सकती हूं मुझे तेरी मोहब्बत ने अजब इक रौशनी बख्शी मैं इस दुनिया को अब पहले से बेहतर देख सकती हूं. (परवीन शाकिर)

सुना तो खूब गया है मुझे मगर फिर भी ये लग रहा है किसी अनकही में शामिल हूं अगर ये सच है तो महसूस क्यों नहीं होता ऐ वक्त मैं तेरी मौजूदगी में शामिल हूं. (नुसरत मेहंदी)

ख़िजां की जर्द सी रंगत बदल भी सकती है बहार आने की सूरत निकल भी सकती है अभी तो चाक पे जारी है रक़्स मिट्टी का अभी कुम्हार की नीयत बदल भी सकती है. (अलीना इतरत)

किसी की मेहरबां दस्तक ने जिंदा कर दिया मुझको, मैं पत्थर हो गई होती अगर ऐसा नहीं होता किसी जज्बे की शिद्दत मुनहसिर तकमील पर भी थी, न पाया हो तो खोने का भी डर ऐसा नहीं होता. (अंबरीन हसीब अंबर)

हर सितम सह के मुस्कुरा देना मैंने सीखा है गम भुला देना उंगलियां जो उठाते हैं सब पर आईना उनको भी दिखा देना. (अना देहलवी)

कल मेरी एक प्यारी सहेली किताब में इक खत छुपा रही थी कि तुम याद आ गए ईमान जानिए कि इसे कुफ़्र जानिए मैं सर झुका रही थी कि तुम याद आ गए. (अंजुम रहबर)

जलती-बुझती सी रोशनी के परे सिमटा सिमटा सा इक मकां तन्हा राह देखा करेगा सदियों तक छोड़ जाएंगे ये जहां तन्हा. (मीना कुमारी नाज़)

दिल हमारा है या तुम्हारा अब हम से ये फैसला नहीं होता दो कदम मेरे साथ तो चलते तुमसे इतना भी क्या नहीं होता. (रुख़साना अमरोहवी)