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वक्त के साथ कमी प्यार में आ जाती है... अतुल अजनबी के चुनिंदा शेर

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11 Feb 2024

By अतुल कुशवाह

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शायर अतुल अजनबी का मूल नाम अतुल श्रीवास्तव है. उनका जन्म 10 सितंबर 1969 को उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में हुआ था. मुशायरों की दुनिया में उन्होंने अलग मुकाम हासिल किया है.

शायर अतुल अजनबी

Photo: social media/pexels

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निगाह कोई तो तूफां में मेहरबान सी है हर एक मौज समंदर की पाएदान सी है हर एक शख्श को गाहक समझ के खुश रखना ये जिंदगी भी हमारी कोई दुकान सी है.

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वो मुस्कुरा के दिलो जां पे वार करता है कि एक तीर से दो दो शिकार करता है बस एक मां ही मेरी राह देखे है वर्ना किसी का कौन यहां इंतजार करता है.

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जब उसके सामने सूरज हवा नदी क्या है हम आदमी हैं हमारी बिसात ही क्या है बिछड़ के घर से यही सोचता हूं मैं दिन-रात शजर से टूट के पत्तों की जिंदगी क्या है.

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मेरा नहीं है और न किसी और ही का है परतव जहां कहीं है तेरी रोशनी का है घर जल रहा है सामने उसको बचाइए फिर उसके बाद अगला मकां आप ही का है. (परतव- चमक)

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तुम्हारे प्यार की जंजीर में बंधा हूं मैं सजा ये कैसी मिली है सजा नहीं लगती किसी से प्यार करो और तजुर्बा कर लो ये रोग ऐसा है जिसमें दवा नहीं लगती.

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पूछो न उससे कौन है आता कहां से है दिल की कहानी देखो सुनाता कहां से है उसकी तरक्कियों की कहानी में मैं भी हूं अब देखना ये है कि सुनाता कहां से है.

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इक थकन कुव्वते इजहार में आ जाती है वक्त के साथ कमी प्यार में आ जाती है जब गजल मीर की पढ़ता है पड़ोसी मेरा एक नमी सी मेरी दीवार में आ जाती है.

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मैं कितना प्यासा हूं दरिया तुम्हारा होते हुए सरापा डूब रहा हूं किनारा होते हुए छतों पे यूं तो पतंगें उड़ा रहे थे लोग मैं साफ देख रहा था इशारा होते हुए.