बशर नवाज का मूल नाम बशारत नवाज खां है. उनका जन्म 21 अक्टूबर 1935 को औरंगाबाद में हुआ था. उनका लिखा गीत- करोगे याद तो हर बात याद आएगी काफी मशहूर हुआ.
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सदियों का गम सिमट के दिलों में उतर गया हम लोग जिंदगी के गुनहगार हो गए ज़ुल्फों की तरह पहले भी बादल हसीन थे डोली पवन तो और तरहदार हो गए.
मैं कहां जाऊं कि पहचान सके कोई मुझे अजनबी मान के चलता है मुझे घर मेरा जो भी आता है वही दिल में समा जाता है कितने दरियाओं का प्यासा है समंदर मेरा.
बहुत था खौफ जिसका फिर वही किस्सा निकल आया, मेरे दुख से किसी आवाज का रिश्ता निकल आया सुलगते दिल के आंगन में हुई ख्वाबों की फिर बारिश, कहीं कोंपल महक उट्ठी कहीं पत्ता निकल आया.
दिल के हर दर्द ने अशआर में ढलना चाहा अपना पैराहने बेरंग बदलना चाहा चाहते तो किसी पत्थर की तरह जी लेते हमने खुद मोम की मानिंद पिघलना चाहा.
घटती बढ़ती रौशनियों ने मुझे समझा नहीं मैं किसी पत्थर किसी दीवार का साया नहीं जाने किन रिश्तों ने मुझको बांध रखा है कि मैं मुद्दतों से आंधियों की जद में हूं बिखरा नहीं.
आहट पे कान दर पे नजर इस तरह न थी एक एक पल की हमको खबर इस तरह न थी था दिल में दर्द पहले भी लेकिन न इस कदर वीरां तो थी हयात मगर इस तरह न थी.
चुपचाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखो किस दर्द को कहते हैं वफा तुम भी तो देखो किस तरह किनारों को है सीने से लगाए ठहरे हुए पानी की अदा तुम भी तो देखो.
अक्स हर रोज किसी गम का पड़ा करता है दिल वो आईना कि चुपचाप तका करता है रोज राहों से गुजरता है सदाओं का जुलूस दिल का सन्नाटा मगर रोज बढ़ा करता है.