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क्या सिद्धू मूसेवाला के पेरेंट्स ने तोड़े IVF के नियम? जानें क्या कहता है कानून

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21 March 204

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दिवंगत पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर और पिता बलकौर सिंह के घर दूसरे बच्चे का जन्म हुआ है.

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चरण कौर ने 58 साल की उम्र में इस बच्चे को इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक से जन्म दिया है.

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अब इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पंजाब सरकार से चरण कौर के आईवीएफ ट्रीटमेंट पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

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दरअसल, भारत में IVF को लेकर बनाए गए नियमानुसार केवल 21 से 50 साल के बीच की महिला ही इस तकनीक की मदद से बच्चे को जन्म दे सकती है.

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सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम (ART), 2021 की धारा 21 (जी) (i) के तहत, ART सेवाओं के तहत जाने वाली महिला के लिए निर्धारित आयु सीमा 21-50 वर्ष के बीच है.

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अधिनियम की धारा 21 (जी) (i) में अनिवार्य रूप से कहा गया है कि प्रारंभ में, ART सेवाओं का लाभ उठाने के लिए एक महिला के लिए अधिकतम आयु 50 वर्ष या मेनोपॉज के पूरा होने पर, जो भी पहले हो, निर्धारित की जाती है.

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दरअसल, इस अधिनियम के तहत आयु प्रतिबंध इसलिए जुड़ा है क्योंकि बढ़ती उम्र के साथ माता और भ्रूण में बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है.

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लेकिन कानून उन परिस्थितियों को भी ध्यान में रखता है जहां आयु प्रतिबंध के चलते महिलाओं के प्रजनन अधिकार बाधित हो सकते हैं. इसलिए इसमें अपवादों के लिए एक खंड (Clause) शामिल है. 

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इस खंड के तहत, 50 साल की आयु सीमा पार कर चुकी महिला भी ART की सेवाएं चुन सकती है. इनमें आईवीएफ (IVF) भी शामिल है. 

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इसके लिए महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी विस्तृत जांच में यह साबित होना चाहिए कि वह इसकी प्रक्रियाओं से गुजरने और संभावित खतरों को उठाने के योग्य है.

इस प्रकार, सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 21(जी)(i) द्वारा निर्धारित प्रतिबंधों के बावजूद, 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं भारत में आईवीएफ का विकल्प चुन सकती हैं, अगर वो निर्धारित चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य मानदंडों को पूरा करती हैं. 

इसके अलावा, महिला को अजन्मे बच्चे के लिए बीमा कवर प्रदान करवाना अनिवार्य है, जिसमें देर से मां बनने से जुड़े संभावित स्वास्थ्य जोखिम शामिल हों. इस शर्त का उद्देश्य बच्चे के समग्र कल्याण की रक्षा करना है.

वहीं, अंत में माता-पिता द्वारा बच्चे की संरक्षकता के संबंध में एक स्पष्ट योजना प्रदान करना भी जरूरी है ताकि किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की स्थिति में बच्चे की देखरेख अच्छे से हो सके.