30 May 2024
By अतुल कुशवाह
इन दिनों पूूरे देश में लोग गर्मी से परेशान हैं. तापमान नए रिकॉर्ड बना रहा है. ऐसी चुभती धूप को लेकर शायरों ने तमाम शेर कहे हैं. गर्मी को लेकर पढ़िए शायरों के अल्फाज.
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फूल जैसे मखमली तलवों में छाले पड़ गए ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए मैं अंधेरों से बचा लाया था अपने आप को मेरा दुख ये है मेरे पीछे उजाले पड़ गए. (राहत इंदौरी)
गर्मी से मुज्तरिब था जमाना जमीन पर भुन जाता था जो गिरता था दाना जमीन पर. (मीर अनीस)
बंद आंखें करूं और ख्वाब तुम्हारे देखूं तपती गर्मी में भी वादी के नजारे देखूं ओस से भीगी हुई सुबह को छू लूं जब मैं अपनी पलकों पे मैं अश्कों के सितारे देखूं. (साहिबा शहरयार)
तू जून की गर्मी से न घबरा कि जहां में ये लू तो हमेशा न रही है न रहेगी. (शरीफ कुंजाही)
मेरे दिल में उतर गया सूरज तीरगी में निखर गया सूरज दर्स देकर हमें उजाले का खुद अंधेरे के घर गया सूरज. (जावेद अख्तर)
किसी दुल्हन के झमकते हुए झूमर की तरह रात ने सुबह के माथे पे सजाया सूरज लोग कहते रहे सूरज को दिखाएंगे चराग और ही रंग था जब सामने आया सूरज. (कतील शिफाई)
अपनी तो रात भी जलते ही कटी दिन की तरह रात को सो तो गया दिन का सताया सूरज आसमां एक सुलगता हुआ सहरा है जहां ढूंढता फिरता है खुद अपना ही साया सूरज. (आजाद गुलाटी)
रात से जंग कर के आया है ताजा ताजा है घाव सूरज का आसमानों से दोस्ती कर के बढ़ गया है तनाव सूरज का. (फहीम जोगापुरी)