शायर इमरान शमशाद नरमी साल 1978 में कराची पाकिस्तान में जन्मे हैं. वे उम्दा शायरी कहते हैं. युवाओं के बीच सोशल मीडिया के जरिए उनके शेर काफी चर्चा में रहते हैं.
Photo: Facebook/pexels
दिल तो हर चीज पे बच्चे सा मचल जाता है जेब जब डांटने लगती है संभल जाता है जब भी मैं सोचता हूं रात नहीं जाने की दूर उस घर में कोई बल्ब सा जल जाता है.
जमाना लाख कहे तुमसे तुम बदल जाओ तुम अपने रंग जमाने के मुंह पे मल जाओ तुम्हारी राख से उभरे कोई नई तस्वीर अगर जले हो तो अच्छी तरह से जल जाओ.
तुमने ये माजरा सुना है क्या जो भी होना है हो चुका है क्या कोई होता नहीं है आपके साथ आपके साथ मसअला है क्या.
इन मकानों से बहुत दूर बहुत दूर कहीं चल जमानों से बहुत दूर बहुत दूर कहीं एक घर मुझको बुलाता है मेरे पास आओ इन मकानों से बहुत दूर बहुत दूर कहीं.
यूं भटकने में की है बसर जिंदगी जैसे आ जाएगी राह पर जिंदगी है कहीं सैकड़ों एकड़ों का महल और कहीं एक कमरे का घर जिंदगी.
गिरने वाले ने सर उठा के कहा इन सितारों की चाल ठीक नहीं साथ चलते रहो मगर खामोश इस सफर में सवाल ठीक नहीं.
ये गलत है ये साल ठीक नहीं हर घड़ी का मलाल ठीक नहीं फूल को धूल की जरूरत है इस कदर देखभाल ठीक नहीं.
ठहर के देख तू इस खाक से क्या क्या निकल आया, मिरी पुर-गर्द पेशानी से भी सजदा निकल आया कहीं पीपल उगे हैं तीसरी मंजिल के छज्जे पर, कहीं खिड़की की चौखट से कोई कब्जा निकल आया.