जैसे सावन के महीने में झड़ी लगती है... दिल छू लेंगे चुनिंदा शायरों के ये शेर

27 July 2025

By Aajtak.in

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सावन में जैसे बादल बरसते हैं, अक्सर वैसे ही दिलों में जज्बात उमड़ते हैं- कभी याद बनकर भीगते हैं, तो कभी तन्हाई बनकर बरसते हैं. शायरों ने सावन के इन्हीं जज्बातों को शेरों में पिरोया है, जो सीधे दिल में उतर जाते हैं.

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बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है. (निदा फाजली) यादों के बाग से वो हरापन नहीं गया सावन के दिन चले गए सावन नहीं गया. (अनवर शऊर)

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दिल से जो छटे बादल तो आंख में सावन है ठहरा हुआ दरिया है बहता हुआ पानी है. तुम छत पे नहीं आए मैं घर से नहीं निकला ये चांद बहुत भटका सावन की घटाओं में. (बशीर बद्र)

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जब चले जाएंगे हम लौट के सावन की तरह याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह. (गोपालदास नीरज) रुकी रुकी सी है बरसात खुश्क है सावन ये और बात कि मौसम यही नुमू का है. (जुनैद हज़ीं लारी)

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ऐसे रोया था बिछड़ते हुए वो शख्स कभी जैसे सावन के महीने में झड़ी लगती है. (मुनव्वर राना) क्या हमारा नहीं रहा सावन ज़ुल्फ यां भी कोई घटा भेजो. (जॉन एलिया)

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वो तेरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं दिले बेखबर मेरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा. (अमजद इस्लाम अमजद)

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मैं चुप कराता हूं हर शब उमड़ती बारिश को मगर ये रोज गई बात छेड़ देती है. (गुलजार) हम से पूछो मिजाज बारिश का हम जो कच्चे मकान वाले हैं. (अशफाक अंजुम)

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अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई. (गोपालदास नीरज) - बीत गया सावन का महीना मौसम ने नजरें बदलीं लेकिन इन प्यासी आंखों से अब तक आंसू बहते हैं. (हबीब जालिब)

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किसको खबर थी सांवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं सावन आया लेकिन अपनी किस्मत में बरसात नहीं. (कतील शिफ़ाई) - कभी सैराब कर जाता है हमको अब्र का मंजर कभी सावन बरस कर भी पियासा छोड़ देते हैं. (शुजा ख़ावर)

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