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कहां पे प्यास थी दरिया कहां बनाया गया... दिल छू लेंगे ये बेहतरीन शेर

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4 Dec 2023

By अतुल कुशवाह

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नौजवान शायर यासिर खान इनाम का जन्म 12 मार्च 1986 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुआ. उनकी शायरी में जज्बातों की गहराई होती है. वे मुशायरों में जाना पहचाना नाम हैं.

शायर यासिर खान इनाम

Photo: Facebook

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कौन अब जाए तेरे पास शिकायत लेकर रोज आते हैं तेरे ख्वाब मोहब्बत लेकर इस कदर मुझसे तकल्लुफ की जरूरत क्या है मैं अगर तुझको छुऊंगा तो इजाजत लेकर.

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किराएदार की आंखों में आ गए आंसू बनाए बैठे थे बच्चे मकान कागज पर. तुम्हारे खत में नजर आई इतनी खामोशी कि मुझको रखने पड़े अपने कान कागज पर.

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बदल के देख लो तुम जिस्म चाहे औरों से वहीं पे ठीक है जिसको जहां बनाया गया तुम उसके पास हो जिसको तुम्हारी चाह न थी कहां पे प्यास थी दरिया कहां बनाया गया.

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हमने कब चाहा कि वो शख्स हमारा हो जाए इतना दिख जाए कि आंखों का गुजारा हो जाए तुमको लगता है कि तुम जीत गए हो मुझसे है यही बात तो फिर खेल दोबारा हो जाए.

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बहुत मुश्किल है उसका लौट आना वो पूरी बात कब सुनकर गया था जमाना जिसको दरिया कह रहा है हमारी आंख से बहकर गया था.

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मुझे वो गम है कि सारी जमीन रोने लगे जो अश्क पोंछ दूं तो आस्तीन रोने लगे मदारी जानता था आखिरी तमाशा है सो खेल ऐसा किया नाजरीन रोने लगे.

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उसे उजाले का खतरा सताता रहता है पकड़ पकड़ के वो जुगनू बुझाता रहता है हवा पे जोर तो चलता नहीं है जुगनू का मगर चराग की हिम्मत बढ़ाता रहता है.

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आंखों को कुछ ख्वाब दिखाकर मानेंगे आप हमारे होश उड़ाकर मानेंगे लगता है ये पानी बेचने वाले लोग हर बस्ती में आग लगाकर मानेंगे.