राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्ड अब अमृत उद्यान के नाम से जाना जाएगा.
केंद्र सरकार ने अमृत महोत्सव के मद्देनजर मुगल गार्डन का नाम बदल दिया है.
नाम बदलने की घोषणा के बाद दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों ने 'मुगल गार्डन' नाम वाला पुराना बोर्ड भी हटा लिया है.
1911 में जब अंग्रेजों ने कोलकाता के बदले दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया, तब रायसीना की पहाड़ी को काटकर वायसराय हाउस (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) बनाने का फैसला किया गया.
इसे बनाने के लिए खासतौर से इंग्लैंड से ब्रिटिश वास्तुकार सर एडिवन लुटियंस को बुलाया गया, जिन्होंने वायसराय हाउस डिजाइन किया था.
लुटियंस ने 1917 से वायसराय हाउस बनाने की शुरुआत की. वायसराय हाउस की सुंदरता बढ़ाने के लिए एक खास बाग बनाया गया, जहां कई तरह के फूल-पौधे और पेड़ों की प्रजातियां लगाई गईं.
साल 1928 में मुगल गार्डन बनकर तैयार हुआ, 1928 से 1929 तक प्लांटिंग का काम चला. अब समझते हैं कि अंग्रेजों ने इसका नाम मुगल गार्डन क्यों रखा था?
16वीं शताब्दी में बाबर के हमले के बाद दिल्ली में मुगल साम्राज्य शुरू हुआ था. इसके बाद हुमायूं, अकबर, शाहजहां और औरंगजेब ने दिल्ली की गद्दी संभाली.
इस दौरान मुगलों ने बाग-बगीचों का निर्माण करवाया. दिल्ली में एक हजार से ज्यादा बाग बनवाए. बाद में अंग्रेजों ने मुगल परंपराओं को अंग्रेजी सौंदर्यशास्त्र के साथ मिला दिया.
यही वजह है कि इसका नाम मुगलों के नाम पर पड़ा. मुगल गार्डन का डिजाइन ताजमहल और जम्मू और कश्मीर के बगीचों से प्रेरित है.
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