कौन होगा जो मुझे उसकी तरह याद करे... परवीन शाकिर के चुनिंदा शेर

29 Nov 2023

By अतुल कुशवाह

परवीन शाकिर का जन्म 24 नवंबर 1952 को पाकिस्तान के कराची में हुआ था. उन्होंने कराची यूनिवर्सिटी से अंग्रेज़ी में एमए किया. इसके बाद उन्होंने पीएचडी की.

शायरा परवीन शाकिर

अपनी तन्हाई मिरे नाम पे आबाद करे कौन होगा जो मुझे उसकी तरह याद करे दिल अजब शहर कि जिस पर भी खुला दर इसका वो मुसाफिर इसे हर सम्त से बरबाद करे.

बहुत रोया वो हमको याद करके हमारी जिंदगी बरबाद करके पलट कर फिर यहीं आ जाएंगे हम वो देखे तो हमें आजाद करके.

अब भला छोड़ के घर क्या करते शाम के वक्त सफर क्या करते तेरी मसरूफियतें जानते हैं अपने आने की खबर क्या करते.

अक्स-ए-खुशबू हूं बिखरने से न रोके कोई और बिखर जाऊं तो मुझको न समेटे कोई कोई आहट कोई आवाज कोई चाप नहीं दिल की गलियां बड़ी सुनसान हैं आए कोई.

वो तो खुशबू है हवाओं में बिखर जाएगा मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा आखिरश वो भी कहीं रेत पे बैठी होगी तेरा ये प्यार भी दरिया है उतर जाएगा.

चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया इश्क के इस सफर ने तो मुझको निढाल कर दिया मुमकिन फैसलों में एक हिज्र का फैसला भी था हमने तो एक बात की उसने कमाल कर दिया.

पूरा दुख और आधा चांद हिज्र की शब और ऐसा चांद रात के शायद एक बजे हैं सोता होगा मेरा चांद.

शाम आयी तेरी यादों के सितारे निकले रंग ही गम के नहीं नक्श भी प्यारे निकले.