अटका कहीं जो आपका दिल भी मेरी तरह... मोमिन खां मोमिन के चुनिंदा शेर

13 Jan 2023

By अतुल कुशवाह

शायर मोमिन खां मोमिन का मूल नाम हकीम मोमिन खां था. उनका जन्म दिल्ली में हुआ था. गालिब और जौक के समकालीन हैं. उनका ताल्लुक कश्मीरी घराने से था.

मोमिन खां मोमिन

Photo: Facebook/pexels

दिल में उस शोख के जो राह न की हमने भी जान दी पर आह न की मैं भी कुछ खुश नहीं वफा करके तुमने अच्छा किया निबाह न की.

उल्टे वो शिकवे करते हैं और किस अदा के साथ बेताकती के ताने हैं उज्रे जफा के साथ बेपर्दा गैर पास उसे बैठा न देखते उठ जाते काश हम भी जहां से हया के साथ.

तुम भी रहने लगे खफा साहब कहीं साया मेरा पड़ा साहब सितम आजार ज़ुल्मो जौर ओ जफा जो किया सो भला किया साहब.

वो कहां साथ सुलाते हैं मुझे ख्वाब क्या क्या नजर आते हैं मुझे हैरते हुस्न से ये शक्ल बनी कि वो आईना दिखाते हैं मुझे.

ठानी थी दिल में अब न मिलेंगे किसी से हम पर क्या करें कि हो गए नाचार जी से हम साहब ने इस गुलाम को आजाद कर दिया लो बंदगी कि छूट गए बंदगी से हम.

रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह अटका कहीं जो आप का दिल भी मेरी तरह आता नहीं है वो तो किसी ढब से दाव में बनती नहीं है मिलने की उस के कोई तरह.

असर उसको जरा नहीं होता रंज राहत फजा नहीं होता बेवफा कहने की शिकायत है तो भी वादा वफा नहीं होता.

हम समझते हैं आजमाने को उज़्र कुछ चाहिए सताने को संगे दर से तेरे निकाली आग हमने दुश्मन का घर जलाने को.