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मैं उसको छोड़ न पाया बुरी लतों की तरह... रूमानी शायरी से झूम उठेगा दिल

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10 Mar 2024

By अतुल कुशवाह

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सारी दुनिया के गम हमारे हैं और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं दिले बर्बाद ये खयाल रहे उसने गेसू नहीं संवारे हैं. (जॉन एलिया)

Photo: pexels

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दीवानगी का सबब पूछा जा रहा था मेरी मैं चुप था और हुजूम उसका नाम ले रहा था वो जिनका सोच के शहजादे खौफ खा रहे थे वो फैसले तो तुम्हारा गुलाम ले रहा था. (इस्माइल राज)

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मैं उसको छोड़ न पाया बुरी लतों की तरह वो मेरे साथ है बचपन की आदतों की तरह मुझे संभालने वाला कहां से आएगा मैं गिर रहा हूं पुरानी इमारतों की तरह. (मुनव्वर राना)

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ये मैंने कब कहा कि मेरे हक में फैसला करे अगर वो मुझसे खुश नहीं है तो मुझे जुदा करे मैं उसके साथ जिस तरह गुजारता हूं जिंदगी उसे तो चाहिए कि मेरा शुक्रिया अदा करे. (तहजीब हाफी)

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ओस की तरह झिलमिलाया कर गीले बालों को मत सुखाया कर आंख फिर वक्त पर नहीं खुलती अपनी बाहों में मत सुलाया कर. (अजहर इकबाल)

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मुंह जबानी न जताता कि मुहब्बत क्या है मैं तुझे करके दिखाता कि मुहब्बत क्या है कैसे सीने से लगाऊं कि किसी और के हो मेरे होते तो बताता कि मुहब्बत क्या है. (राना सईद)

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जिंदगी से बड़ी सजा ही नहीं क्या जुर्म है पता ही नहीं इतने हिस्सों में बंट गया हूं मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं. (कृष्ण बिहारी नूर)

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रोज बढ़ता हूं जहां से आगे फिर वहीं लौट के आ जाता हूं बारहा तोड़ चुका हूं जिनको उन्हीं दीवारों से टकराता हूं. (कैफी आजमी)

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हमको उड़ने के तरीके न सिखाओ हम लोग पेड़ से आए हैं पिंजरे से नहीं आए हैं एक बच्ची से खरीदे थे ये गजरे हमने लौटकर हम किसी मुजरे से नहीं आए हैं. (सलीम सिद्दीकी)