एक ये वक्त है खोने के लिए कुछ भी नहीं... संजू शब्दिता के चुनिंदा शेर

8 July 2024

By अतुल कुशवाह

संजू शब्दिता का ताल्लुक यूपी के अमेठी से है. वे हिंदी में पीएचडी हैं. वे अक्सर कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी शिरकत करती हैं. उनके शेर सोशल मीडिया पर खूब पसंद किए जाते हैं.

शायरा संजू शब्दिता

Photo: Facebook

खुद ही प्यासे हैं समंदर तो फकत नाम के हैं भूल जाओ कि बड़े लोग किसी काम के हैं. तुम्हारे भेजे हुए फूल मैं कुबूल करूं या अपने पांव का कांटा निकाल लूं पहले.

तुम फकत इस जिस्म तक ही रह गए ना मैं तुम्हें खुद से मिलाना चाहती थी जमीर बेच के आए हो कोई बात नहीं जो चीज बदले में लाए हो उससे खुश हो ना?

अचानक रुक गई तो देखती हूं मेरे चलने से रिश्ता चल रहा था मेरे बाद कोई नया आ गया सुना है वो खाली जगह भर गई.

मेरी तस्वीर आई बच्चों सी कैमरा दिल की उम्र जान गया हजारों चाहने वाले थे उसके जिसे तन्हाइयों ने मार डाला.

निकलना पड़ गया है खुद से बाहर मेरे अंदर ये दुनिया भर गई है वो संगदिल जो अभी रो पड़ा तो इल्म हुआ कि उस पहाड़ के सीने में एक झरना है.

रो दिए हम सफाई देने में सच सलीके से कह नहीं पाए हमारे दरमियां कुछ भी नहीं था बहुत नजदीक से कह कर गया वो.

एक वो वक्त था खोने से तुझे डरते थे एक ये वक्त है खोने के लिए कुछ भी नहीं हम किसी जुर्म में नहीं शामिल हम तो इक भीड़ से फरार हैं बस.

बहुत संभाल के हमने रखे थे पांव मगर जहां थे जख्म वहीं चोट बार-बार लगी शाह हैं आप जिसे चाहें खरीदें लेकिन हम फकीरों का कोई दाम कहां होता है.