मशहूर कवि कुमार विश्वास 10 फरवरी 1970 को यूपी के पिलखुवा में जन्मे. यहां स्कूली शिक्षा उन्होंने लाला गंगा सहाय स्कूल में हासिल की. वे अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं.
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सब तमन्नाएं हों पूरी कोई ख्वाहिश भी रहे चाहता वो है मोहब्बत में नुमाइश भी रहे आसमां चूमें मेरे पंख तेरी रहमत से और किसी पेड़ की डाली पे रिहाइश भी रहे.
ये खयालों की बदहवासी है या तेरे नाम की उदासी है तुमने हमको तबाह कर डाला बात होने को ये जरा सी है.
उन की खैरो खबर नहीं मिलती हम को ही खासकर नहीं मिलती लोग कहते हैं रूह बिकती है मैं जिधर हूं उधर नहीं मिलती.
उसी की तरह मुझे सारा जमाना चाहे वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा ये मुसाफिर तो कोई और ठिकाना चाहे.
आइने में निहार कर खुद को कुछ इशारों की याद आती है आसमां की सियाह रातों को अब सितारों की याद आती है.
फिर मेरी याद आ रही होगी फिर वो दीपक बुझा रही होगी जिस्म चादर सा बिछ गया होगा रूह सिलवट हटा रही होगी.
खुद को आसान कर रही हो ना हम पे एहसान कर रही हो ना जिंदगी हसरतों की मय्यत है फिर भी अरमान कर रही हो ना.
तुम्हें जीने में आसानी बहुत है तुम्हारे खून में पानी बहुत है कबूतर इश्क का उतरे तो कैसे तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है.