लोकप्रिय शायर खुमार बाराबंकवी का मूल नाम मोहम्मद हैदर खां था. उनका जन्म 15 सितंबर 1919 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में हुआ था. उन्होंने कई फिल्मों में गीत भी लिखे.
हंसने वाले अब एक काम करें जश्ने गिर्या का एहतिमाम करें आ चलें उसके दर पे अब ऐ दिल जिंदगी का सफर तमाम करें.
आंखों के चरागों में उजाले न रहेंगे आ जाओ कि फिर देखने वाले न रहेंगे जा शौक से लेकिन पलट आने के लिए जा हम देर तलक खुद को संभाले न रहेंगे.
ऐ मौत उन्हें भुलाए जमाने गुजर गए आ जा कि जहर खाए जमाने गुजर गए ओ जाने वाले आ कि तिरे इंतजार में रस्ते को घर बनाए जमाने गुजर गए.
अकेले हैं वो और झुंझला रहे हैं मेरी याद से जंग फरमा रहे हैं ये कैसी हवा ए तरक्की चली है दिए तो दिए दिल बुझे जा रहे हैं.
हम उन्हें वो हमें भुला बैठे दो गुनहगार जहर खा बैठे आंधियों जाओ अब करो आराम हम खुद अपना दिया बुझा बैठे.
ऐसा नहीं कि उनसे मोहब्बत नहीं रही जज्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही सर में वो इंतजार का सौदा नहीं रहा दिल पर वो धड़कनों की हुकूमत नहीं रही.
न हारा है इश्क और न दुनिया थकी है दिया जल रहा है हवा चल रही है सुकूं ही सुकूं है खुशी ही खुशी है तेरा गम सलामत मुझे क्या कमी है.
हुस्न जब मेहरबां हो तो क्या कीजिए इश्क के मगफिरत की दुआ कीजिए जिंदगी कट रही है बड़े चैन से और गम हों तो वो भी अता कीजिए.