08 June 2024
By अतुल कुशवाह
लिबास तन पे सलामत हैं हाथ खाली हैं हम एक मुल्क ए खुदा दाद के सवाली हैं नशेमनों को उजाड़ा कुछ इस तरह जैसे कि फाख्ताएं दरख्तों से उड़ने वाली हैं. (मोहसिन एहसान)
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खिरद वालो जुनूं वालों के वीरानों में आ जाओ दिलों के बाग जख्मों के गुलिस्तानों में आ जाओ, हवा है सख्त अब अश्कों के परचम उड़ नहीं सकते, लहू के सुर्ख परचम ले के मैदानों में आ जाओ. (अली सरदार जाफरी)
खुला है झूठ का बाजार आओ सच बोलें न हो बला से खरीदार आओ सच बोलें छुपाए से कहीं छुपते हैं दाग चेहरे के नजर है आईना बरदार आओ सच बोलें. (क़तील शिफ़ाई)
फरमान से पेड़ों पे कभी फल नहीं लगते तलवार से मौसम कोई बदला नहीं जाता दरिया के किनारे तो पहुंच जाते हैं प्यासे प्यासों के घरों तक कोई दरिया नहीं जाता. (मुजफ्फर वारसी)
मेरी सारी जिंदगी को बे-समर उसने किया उम्र मेरी थी मगर उस को बसर उसने किया राहबर मेरा बना गुमराह करने के लिए मुझको सीधे रास्ते से दर ब दर उसने किया. (मुनीर नियाजी)
रंग पैराहन का खुशबू ज़ुल्फ लहराने का नाम मौसमे गुल है तुम्हारे बाम पर आने का नाम फिर नजर में फूल महके दिल में फिर शमएं जलीं, फिर तसव्वुर ने लिया उस बज्म में जाने का नाम. (फैज अहमद फैज)
मेरे जुनूं का नतीजा जरूर निकलेगा इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ हमें यकी था हमारा कुसूर निकलेगा. (अमीर कजलबाश)
शेर से शाइरी से डरते हैं कम नजर रोशनी से डरते हैं रूठता है तो रूठ जाए जहां उनकी हम बेरुखी से डरते हैं. (हबीब जालिब)
फिर दिल से आ रही है सदा उस गली में चल शायद मिले गजल का पता उस गली में चल कब से नहीं हुआ है कोई शेर काम का ये शेर की नहीं है फजा उस गली में चल. (हबीब जालिब)