16 Apr 2024
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प्रेमानंद महाराज के पास कई लोग अपने सवाल लेकर जाते हैं और वे उन सवालों का यथोउचित जवाब भी देते हैं.
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कुछ समय पहले एक लड़का प्रेमानंद महाराज के शिष्य ने उनसे एक लड़के का सवाल पूछा, 'महाराज कई सारे बच्चों के पास समस्याएं हैं और जिस कारण वे डिप्रेशन में चले जाते हैं. ये कह रहे हैं कि बचपन से बाल तो ठीक थे लेकिन 10 साल में उड़ गए तो लोग उपहास उड़ाते हैं.'
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प्रेमानंद महाराज ने कहा, 'इसमें सोचना क्या है भगवान ने हमारे को ऐसा ही विधान बनाया है. अगर हमारे बाल सही रहने होते तो पूर्व कर्म के अनुसार फिर ये क्रिया ना होती.'
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'मान लो किसी की एक आंख खराब है, किसी का शरीर मोटा है, किसी का रूप थोड़ा सही नहीं है. अगर कोई उपहास करते तो मूर्ख बच्चे हैं जो उपहास करते हैं.'
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'उपहास नहीं ये. ये आपके हाथ कि बात थोड़ी है कि आप बाल कैसे रखो. आपके बाल कितने घने हों ये तो जो पूर्व कर्म के अनुसार आया वो अपने समय पर प्रभाव दिखाएगा.'
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'वो मूर्खता के कारण उपहास करते हैं. उनको मूर्ख समझ कर के उधर ध्यान ही ना दें और अपने को डिप्रेशन में थोड़ी डालना है.'
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'ये अब हमारा कर्म होगा कि पूर्व प्रारब्ध आए तो हम असफलता में इतना चिंतन कर लें और नेगेटिव हो जाएं कि डिप्रेशन में बैठ जाएं.'
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'हां. अगर पैसा हो तो लगवा भी सकते हो. जब ब्याह आदि का कार्य हो तो. ये सब साधारण बातें इनमें इतना गहरा सोच नहीं करनी कि हम डिप्रेशन में पहुंच जाएं.'
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'आज हमारा विज्ञान बहुत बड़ा हो गया है. अगर बाल रोपण (हेयर ट्रांसप्लांट) करवाना भी है तो वो करवा लो.'
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'बिल्कुल मस्त रहो. जिनके बहुत बढ़िया बाल है वो सौभाग्यशाली हैं. अरे भगवान से हमारा चित्त जुड़े और हम प्रसन्न रहें. ये बढ़िया बात है.'
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'मान लो ना ब्याह हो..तो पचासों बच्चियां भगवान का भजन कर रही हैं. तो ऐसा नहीं हमें भगवान जैसा मार्ग दे वैसे चलकर और आनंद पूर्वक जीवन व्यतीत करना चाहिए.'
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