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ओलंपिक: जीत से ज्यादा जेंडर की वजह से चर्चा में रही ये बॉक्सर, क्यों कहा गया 'पुरुष'

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पेरिस ओलंपिक्स गेम्स 2024 में जेंडर आइडेंटिटी को लेकर विवादों में घिरीं अल्जीरिया की महिला बॉक्सर इमान खलीफ महिला मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक विजेता बन चुकी हैं. 

PC: Instagram/imane khelif 

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इमान ने 66 किलोग्राम वर्ग प्रतियोगिता में चीनी बॉक्सर और विश्व चैंपियन यांग लियू को 5-0 से हराकर पेरिस 2024 में ओलंपिक में गोल्ड जीता है. गोल्ड जीतने के बाद इमान रो पड़ी. इसके बाद उनके सहयोगी स्टाफ ने इमान को कंधे पर उठा लिया.

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अमीन का ओलंपिक्स में अब तक का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है लेकिन जीत से ज्यादा वो जेंडर आइडेंटिटी की वजह से सुर्खियों में रहीं. 

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दरअसल इमान ने ओलंपिक खेलों के छठे दिन महिलाओं के 66 किलोग्राम भारवर्ग के शुरुआती मैच में इटली की अपनी प्रतिद्वंदी एंजेला कैरिनी को मात्र 46 सेकंड में धराशयी कर दिया और विजेता घोषित हो गईं. 

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इस जीत के बाद इमान के जेंडर पर सवाल उठने लगे. जो लोग इस जीत के खिलाफ थे, उन्होंने कहा कि इमान खलीफ में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की मात्रा पुरुषों की तरह है जिस आधार पर बायोलॉजिकली वो पुरुष हैं और बॉक्सिंग रिंग में एक महिला बॉक्सर के सामने पुरुषों जैसी ताकत रखने वाली इमान को उतारा गया.  

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दरअसल इमान डिफरेंसेस ऑफ सेक्स डेवलपमेंट (DSD) की समस्या से जूझ रही हैं जिसमें किसी महिला में  टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का स्तर काफी ज्यादा हो जाता है.

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ऐसे में सवाल यह है कि आखिर वो हार्मोन क्या है, जो किसी महिला को पुरुष की तरह ताकतवर बना सकता है और महिला या पुरुष में इसका सामान्य स्तर क्या होता है.

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टेस्टोस्टेरोन पुरुषों और महिलाओं दोनों के शरीर में बनता है. लेकिन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन महिलाओं से 20 गुना अधिक होता है. 

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टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के अंडकोष में पैदा होता है. जबकि महिलाओं में यह अंडाशय में बनता है. 

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यह हार्मोन पुरुषों के चेहरे पर बाल, मांसपेशियों के विकास और यौन क्षमता के लिए जिम्मेदार होता है. आमतौर पर इस हार्मोन को मर्दानगी के तौर पर देखा जाता है और इसे पुरुष या मर्दाना हार्मोन भी कहा जाता है. 

पुरुषों के खून में टेस्टोस्टेरोन का सामान्य स्तर 10 से 35 नैनोमोल प्रति लीटर होता है. जबकि महिलाओं में यह 0.5 से 2.4 नैनोमोल प्रति लीटर के बीच होता है. टेस्टोस्टेरोन के स्तर में उम्र के अनुसार बदलाव भी होता है. 

जब शरीर में स्वाभाविक रूप से टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन का अत्यधिक उत्पादन होता है तो इस स्थिति को हाइपरएंड्रोजेनिज्म कहा जाता है. 

कई रिसर्च में पाया गया है कि यह डिसॉर्डर दुनिया में करीब पांच प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है और लगभग 70 प्रतिशत केसेस के लिए पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की कंडीशन जिम्मेदार होती है.

जिस तरह यह हार्मोन पुरुष के शरीर और चेहरे पर बाल बढ़ाता है, वैसे ही जब कोई महिला में इस हार्मोन का स्तर ज्यादा होता है तो उसके चेहरे और शरीर पर बालों की ज्यादा ग्रोथ होने लगती है. इसका हाई लेवल दोनों के लिए सही नहीं है.

टेस्टोस्टेरॉन बढ़ने पर क्या होता है

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पुरुषों में इसका स्तर ज्यादा होने पर शरीर के बालों की ज्यादा ग्रोथ, स्लीप एप्निया, मूड स्विंग्स, गंजेपन जैसी चीजें होती हैं. वहीं, महिलाओं को शरीर में ज्यादा बाल, मसल मास, पीरियड्स में असंतुलन, मूड स्विंग्स, एक्ने जैसी कई दिक्कतें होती हैं.

होती हैं ये दिक्कतें

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हाई टेस्टोस्टेरोन खिलाड़ियों को मैदान में फायदा दिला सकता है क्योंकि यह उनके शरीर को ताकतवर बनाकर जीत की संभावना को बढ़ाता है. अक्सर हमारे सामने खिलाड़ियों द्वारा गेम से पहले इसके इंजेक्शन लेने की खबरें आती हैं. यही वजह है कि खेल शुरू होने से पहले खिलाड़ियों का टेस्टोस्टेरोन लेवल चेक किया जाता है. 

हाई टेस्टोस्टेरॉन का फायदा

अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (आईएएएफ) के अनुसार प्रतिभागियों को प्रतियोगिता से कम से कम छह महीने पहले सीरम टेस्टोस्टेरोन के स्तर को 5 नैनोमोल प्रति लीटर (nmol/L) से कम बनाए रखना होता है.

टेस्टोस्टेरॉन पर नियम