करीना कपूर और सैफ अली खान जैसे बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की न्यूट्रिशनिस्ट रह चुकीं रुजुता दिवेकर अक्सर सोशल मीडिया पर लोगों को हेल्थ और फिटनेस से जुड़ी जानकारी देती रहती हैं.
PC: Rujuta Diwekar
8 जुलाई की अपनी एक पोस्ट में रुजुता दिवेकर ने चीनी से जुड़े मिथक तोड़े और कहा कि भारतीय समाज में कैसे बच्चों के आधुनिक पालन-पोषण और मार्केटिंग ने हमारी समझ को बदल दिया है.
PC: kareena kapoor/Rujuta Diwekar
रुजुता ने इस दौरान, वो चीनी जिसे हम स्वीकार करते हैं बनाम वो चीनी जिस पर हम सवाल उठाते हैं, के बीच का अंतर बताया.
PC: kareena kapoor/Rujuta Diwekar
रुजुता ने कैप्शन में लिखा, 'बच्चों को ना कहना उनके अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए माता-पिता के पास सबसे अच्छा तरीका है.'
PC: kareena kapoor/Rujuta Diwekar
अपनी पोस्ट में वो बताती हैं कि हमें माल्टेड पाउडर या बिस्कुट में मिलने वाली चीनी और केमिकल्स से कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि वो अच्छी तरह से पैक किए जाते हैं.
PC: kareena kapoor/Rujuta Diwekar
उन्होंने इस विडंबना की ओर इशारा करते हुए कहा कि लोग अक्सर पारंपरिक मिठाइयों पर सवाल उठाते हैं लेकिन प्रोसेस्ड मिठाइयों पर नहीं.
PC: Rujuta Diwekar/ AI
'हमें घर पर बनी मिठाइयों जैसे पिन्नी, हलवा या खीर में मौजूद चीनी से समस्या है. क्यों? क्योंकि एक बार जब आप अपनी दादी-नानी की तरह खाना बनाना छोड़ देते हैं तो आपको लगता है कि दोबारा उस तरह खाना न बनाना कूल है.'
PC: Rujuta Diwekar/ AI
रुजुता आगे कहती हैं कि कंपनियों ने इस मानसिकता का बड़ी चतुराई से इस्तेमाल किया है. फूड, मेडिसिन और वेट लॉस-वेलनेस से जुड़े उद्योगों में भी यही रवैया देखा गया है.
PC: Rujuta Diwekar/ AI
कंपनियां इस मानसिकता का कैसे फायदा उठाती हैं?
वो जानते हैं कि अगर आप गरीब देशों के अमीरों को कोई ऐसी चीज देंगे जो उनके लिए अलग हो तो वो उसके झांसे में आ जाएंगे.
PC: Rujuta Diwekar
बच्चों में चीनी की तलब को कैसे संभालें, इस बारे में वे कहती हैं, 'अगर आपका बच्चा बिस्किट मांगता है तो बस 'ना' कह दें. बस इतना ही. एक अभिभावक के तौर पर 'ना' कहना आपकी जिम्मेदारी है.'
PC: Rujuta Diwekar